कानपुर, (वेब वार्ता)। रक्षाबंधन का पर्व केवल भाई-बहन के रिश्ते का नहीं, बल्कि विश्वास, प्रेम और जीवन में सही राह पर चलने का भी प्रतीक है। इस बार कानपुर जेल में यह त्योहार एक अलग ही अंदाज में मनाया गया। कैदियों ने अपनी बहनों से राखी बंधवाकर भविष्य में अपराध की राह न अपनाने का वचन दिया।
आमतौर पर कारागारों में रक्षाबंधन के दिन भाई-बहन के बीच लोहे की जाली की बाधा रहती है, लेकिन इस बार जिला कारागार प्रशासन ने विशेष व्यवस्था की, जिससे बहनें सीधे अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांध सकीं।
जेल अधीक्षक बीडी पांडेय के अनुसार, शासन के निर्देश पर पूरे जिला कारागार परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे, साथ ही त्योहार के अवसर पर भाई-बहनों के बीच भावनात्मक जुड़ाव को प्रोत्साहित करने के लिए अतिरिक्त सुविधाएं दी गईं।
भावनात्मक पल और सुधार का संकल्प
जब बहनों ने अपने कैदी भाइयों की कलाई पर राखी बांधी, तो उन्होंने उनसे भविष्य में कभी कोई बुरा काम न करने का वचन भी लिया। यह दृश्य देखकर कई बहनों की आंखें नम हो गईं। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने इस मुलाकात को खास बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया और ईश्वर से प्रार्थना की कि उनके भाई जल्द जेल से बाहर आकर समाज में नई शुरुआत कर सकें।
सामाजिक पुनर्वास का संदेश
इस आयोजन ने यह स्पष्ट किया कि त्योहार न केवल रिश्तों को जोड़ते हैं, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव का भी माध्यम बन सकते हैं। जेल प्रशासन और स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से हुआ यह आयोजन कैदियों के जीवन में सुधार की दिशा में एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण कदम है।