अयोध्या, (वेब वार्ता)। रक्षाबंधन के पावन पर्व पर जब बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा-सूत्र बांध रही थीं, तब अयोध्या में एक प्रेरणादायक दृश्य सामने आया। भिक्षावृत्ति छोड़कर शिक्षा की ओर कदम बढ़ाने वाले लगभग 50 नन्हे-मुन्ने बच्चों ने महापौर महंत गिरीश पति त्रिपाठी को राखी बांधकर भाईचारे और उम्मीद की डोर को मजबूत किया।
✨ ‘उम्मीद’ संस्था की अनोखी पहल
इस आयोजन का श्रेय जाता है सामाजिक संस्था ‘उम्मीद’ को, जो अयोध्या में लंबे समय से भिक्षा मुक्त बचपन और साक्षरता अभियान को लेकर कार्यरत है। संस्था के समन्वयकों ने बताया कि यह बच्चे कभी सड़कों पर भीख मांगते थे, लेकिन अब उन्होंने शिक्षा की ओर अपना पहला कदम बढ़ाया है।
🏡 महापौर आवास पर हुआ आयोजन
सुबह 10 बजे सभी बच्चे तुलसी उद्यान के सामने स्थित महापौर आवास पर पहुंचे। पारंपरिक अंदाज में बच्चों ने महापौर की कलाई पर राखी बांधी और उनसे अपने उज्ज्वल भविष्य का आशीर्वाद लिया। महापौर ने न केवल उन्हें मिष्ठान खिलाया और उपहार दिए, बल्कि उनके साथ आत्मीयता से समय भी बिताया।
🎓 महापौर ने दी प्रेरणा
महापौर गिरीश पति त्रिपाठी ने बच्चों को शिक्षा की शक्ति के बारे में बताया और कहा:
“शिक्षा ही जीवन का सबसे बड़ा हथियार है। तुम आज भले संघर्ष कर रहे हो, लेकिन यदि मन लगाकर पढ़ाई करोगे, तो कल समाज के लिए प्रेरणा बनोगे।”
उन्होंने संस्था ‘उम्मीद’ के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि समाज को ऐसे संगठनों का सहयोग करना चाहिए जो हाशिए पर खड़े बच्चों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास कर रहे हैं।
👥 संस्था के सदस्य रहे मौजूद
इस अवसर पर उम्मीद संस्था की समन्वयक रीना सिंह के साथ अन्य सदस्य — रमेश वर्मा, अरविंद, अभिषेक, अमन, राजू शर्मा आदि भी उपस्थित रहे। सभी ने बच्चों के प्रयासों और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं।
💡 भविष्य की ओर एक सकारात्मक कदम
यह आयोजन केवल एक रक्षाबंधन समारोह नहीं था, बल्कि भविष्य को गढ़ने का प्रतीक भी था। बच्चों की आंखों में शिक्षा के प्रति चमक और आत्मसम्मान का भाव दिखाई दिया। जिस उम्र में वे भीख मांगते थे, अब वे किताबों की दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं।
🕊️ सामाजिक बदलाव की मिसाल
यह पहल न सिर्फ बच्चों के जीवन को बदल रही है, बल्कि पूरे समाज को एक सकारात्मक संदेश भी दे रही है — कि हर बच्चा शिक्षा का अधिकार रखता है और समाज को मिलकर उसकी राह आसान करनी चाहिए।