चेन्नई, (वेब वार्ता)। तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली जिले की रहने वाली 33 वर्षीय गृहिणी सेल्वा बृंदा ने मातृत्व और मानवीय सेवा की एक अनूठी मिसाल कायम की है। उन्होंने महज़ 22 महीनों में 300.17 लीटर स्तनपान दूध (ब्रेस्ट मिल्क) दान कर हजारों समयपूर्व जन्मे और गंभीर रूप से बीमार नवजात शिशुओं की जान बचाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
मां का दूध बना नवजातों के जीवन का सहारा
सेल्वा बृंदा, जो दो बच्चों की मां हैं, ने अप्रैल 2023 से फरवरी 2025 के बीच महात्मा गांधी मेमोरियल सरकारी अस्पताल (एमजीएमजीएच) स्थित ‘ह्यूमन मिल्क बैंक’ को यह दूध दान किया। यह देश के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण बन चुका है, जहां बृंदा के समर्पण ने मातृत्व की परिभाषा को नई ऊंचाइयां दी हैं।
एक महिला, आधा योगदान
अस्पताल के एक अधिकारी के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान एमजीएमजीएच को जितना दूध दान में मिला, उसमें से लगभग 50 प्रतिशत अकेले सेल्वा बृंदा द्वारा दान किया गया। यह आंकड़ा दर्शाता है कि किस प्रकार एक व्यक्ति भी समाज में बड़ा बदलाव ला सकता है।
रिकॉर्ड बुक में नाम दर्ज
सेल्वा बृंदा की यह उपलब्धि केवल मानवता का कार्य नहीं, बल्कि एक रिकॉर्ड भी बन गई है। उन्हें ‘एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ और ‘इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ में स्थान मिला है, जो उनके प्रयासों की आधिकारिक मान्यता है।
सम्मान और प्रेरणा का प्रतीक
महात्मा गांधी मेमोरियल गवर्नमेंट हॉस्पिटल के ‘मिल्क बैंक’ के अधिकारी 7 अगस्त को ‘विश्व स्तनपान सप्ताह’ (World Breastfeeding Week) के समापन समारोह में बृंदा को सम्मानित करेंगे। यह पुरस्कार न सिर्फ उनकी मेहनत को पहचान देगा, बल्कि अन्य माताओं को भी इस नेक कार्य के लिए प्रेरित करेगा।
एनजीओ से मिली प्रेरणा
अस्पताल के सूत्रों के अनुसार, एक गैर-सरकारी संगठन ने सेल्वा बृंदा को इस कार्य के लिए प्रेरित किया था। उन्होंने शुरुआत में ही इसे एक मिशन मान लिया और अब वे हजारों नवजातों की “दूध मां” बन चुकी हैं।
मातृत्व की मिसाल
सेल्वा बृंदा की कहानी आज के समय में मातृत्व, सेवा और सामाजिक जिम्मेदारी का प्रेरणादायक उदाहरण बन चुकी है। ऐसे समय में जब मानवता के मूल्य अक्सर उपेक्षित हो जाते हैं, उनका यह कदम समाज में आशा की एक किरण बनकर सामने आया है।