लखनऊ, (वेब वार्ता)। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने सोमवार को एक अहम प्रशासनिक संदेश दिया है कि राज्य में शासन व्यवस्था जाति और धर्म के भेदभाव से ऊपर है। पंचायती राज विभाग द्वारा जारी एक भेदभावपूर्ण आदेश पर सख्त नाराजगी जताते हुए सीएम योगी योगी आदित्यनाथ ने संबंधित अधिकारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
🏛️ आदेश में जाति-धर्म का उल्लेख बना विवाद का कारण
विवाद की शुरुआत तब हुई जब पंचायती राज विभाग के एक संयुक्त निदेशक एस.एन. सिंह द्वारा ऐसा आदेश जारी किया गया जिसमें ग्राम सभा की जमीन से अवैध कब्जा हटाने की प्रक्रिया को यादव जाति और मुस्लिम समुदाय से जोड़कर निर्देशित किया गया था। इस आदेश की प्रति जब सामने आई, तो राज्य भर में विरोध और असंतोष की लहर फैल गई।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस आदेश को “भेदभावपूर्ण और अस्वीकार्य” करार देते हुए स्पष्ट किया कि किसी भी जाति या धर्म के आधार पर प्रशासनिक कार्रवाई कतई स्वीकार नहीं की जाएगी।
🚫 संयुक्त निदेशक पर कार्रवाई, आदेश तत्काल प्रभाव से रद्द
मुख्यमंत्री ने आदेश जारी करने वाले अधिकारी एस.एन. सिंह को निलंबित कर दिया है। साथ ही यह भी स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि भविष्य में इस प्रकार की गंभीर प्रशासनिक चूक को दोहराया न जाए। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को चेताया कि “शासन की नीतियाँ किसी भी जाति, धर्म या वर्ग के प्रति भेदभाव पर आधारित नहीं हो सकतीं। यह संविधान और सामाजिक समरसता के खिलाफ है।”
⚖️ कार्रवाई सिर्फ कानून और तथ्य आधारित होनी चाहिए: सीएम योगी
सीएम योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को सख्त शब्दों में निर्देश दिया कि अवैध कब्जा हटाने की कार्रवाई पूरी तरह निष्पक्ष होनी चाहिए। किसी विशेष समुदाय को लक्षित करना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि सामाजिक सौहार्द के लिए भी खतरा है।
उन्होंने आगे कहा कि, “सरकार सामाजिक न्याय, समरसता और सभी नागरिकों के समान अधिकारों की पक्षधर है। इस प्रकार की सोच न केवल प्रशासनिक मर्यादाओं को तोड़ती है, बल्कि समाज में विभाजन पैदा करती है।”
🗣️ सहारनपुर में विपक्ष पर हमला
सहारनपुर के एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस विषय से इतर विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि, “सनातन धर्म की बढ़ती स्वीकार्यता और गौरव से कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसी पार्टियाँ असहज हैं। वे हमेशा से भारत की आध्यात्मिक परंपराओं को कमजोर करने में लगी रहीं, जबकि हमारी सरकार इन परंपराओं के संरक्षण और सम्मान के साथ विकास की दिशा में कार्य कर रही है।”
📌 निष्कर्ष: स्पष्ट और सख्त संदेश
इस पूरे घटनाक्रम ने स्पष्ट कर दिया है कि उत्तर प्रदेश सरकार किसी भी जातीय या धार्मिक आधार पर प्रशासनिक निर्णय लेने को न तो स्वीकार करेगी और न ही माफ करेगी। यह कदम न केवल शासन की पारदर्शिता को दर्शाता है, बल्कि यह भी सिद्ध करता है कि योगी सरकार संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के प्रति सजग और प्रतिबद्ध है।