कुशीनगर, ममता तिवारी (वेब वार्ता)। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में बड़ी गंडक नदी का जलस्तर लगातार खतरे के निशान के आसपास बना हुआ है, जिससे महदेवा खास टोला की लगभग 150 लोगों की आबादी के सामने बेघर होने का खतरा उत्पन्न हो गया है। विडंबना यह है कि इस बार बाढ़ आए बिना ही नदी की तेज धाराएं बस्ती की ओर बढ़ रही हैं, जिससे ग्रामीणों में भय और चिंता का माहौल है।
पिछले वर्ष के वादे अधूरे, अब फिर संकट
महदेवा खास टोले के ग्रामीणों ने बताया कि पिछले साल भी बाढ़ और कटान की त्रासदी उन्होंने बड़ी मुश्किल से झेली थी। उस समय प्रशासन ने सुरक्षा और पुनर्वास के तमाम वादे किए थे, लेकिन जैसे ही संकट टला, अधिकारी मुंह फेरकर चले गए।
इस साल स्थिति और भयावह है क्योंकि नदी की धारा अचानक आबादी की ओर मुड़ गई है। अब सुन्नर, शंकर मल्लाह, रामप्रवेश, महातम, सोहबर और महावीर जैसे कई ग्रामीणों के घर सीधे खतरे में आ गए हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि “बिना बारिश के भी अगर नदी हमारी जमीन और घरों तक पहुंचने लगे तो आने वाले दिनों में हम लोग कहा जाएंगे?” ग्रामीणों ने तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है ताकि संभावित तबाही को टाला जा सके।
नदी का जलस्तर बढ़ा, दिशा भी बदली: एसडीओ बाढ़ खंड
इस संबंध में मनोरंजन कुमार, एसडीओ, बाढ़ खंड विभाग ने बताया कि अभी जिले में अधिक वर्षा नहीं हुई है, लेकिन नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों में हुई भारी बारिश के चलते वाल्मीकिनगर बैराज से बड़ी गंडक नदी में पानी छोड़ा जा रहा है। इस वजह से जलस्तर में वृद्धि और धारा के रुख में बदलाव आ रहा है।
उन्होंने कहा:
“महदेवा खास टोले के समीप फिलहाल कोई तेज धार या सक्रिय कटान नहीं हो रही है। स्थिति पर बारीकी से निगरानी रखी जा रही है। लोगों को डरने की जरूरत नहीं है। विभाग पूरी तरह तैयार है।”
जलस्तर और डिस्चार्ज का आंकड़ा
एसडीओ ने बताया कि शुक्रवार सुबह 4 बजे से 10 बजे तक वाल्मीकिनगर बैराज से 65,000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। दोपहर 12 बजे तक यह बढ़कर 67,100 क्यूसेक हो गया और फिर शाम 6 बजे तक दोबारा 65,000 क्यूसेक पर आ गया।
शनिवार को भैंसहा गेज पर बड़ी गंडक नदी का जलस्तर चेतावनी बिंदु से 30 सेमी ऊपर, यानी 95.30 मीटर रिकॉर्ड किया गया।
ग्रामीणों की मांग और संभावित समाधान
ग्रामीणों की प्रमुख मांगें हैं:
नदी की धार को मोड़ने के लिए तत्काल कटान-रोधी कार्य (बोल्डर पिचिंग, जियो बैग आदि)
परिवारों के लिए अस्थायी शिविर और पुनर्वास स्थल का इंतजाम
हर दिन स्थानीय प्रशासन द्वारा निगरानी और संवाद
यदि इन सुझावों को तत्काल लागू नहीं किया गया, तो महदेवा खास टोले के 30 परिवारों का बेघर होना तय है।