नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। रूस के पूर्वी कमचटका प्रायद्वीप में मंगलवार को आए 8.8 तीव्रता के भूकंप ने दुनियाभर को एक बार फिर प्रकृति की विनाशकारी ताकत का एहसास करा दिया। इस शक्तिशाली भूकंप के बाद न केवल रूस में तबाही के दृश्य देखने को मिले, बल्कि जापान, अमेरिका, चीन, इंडोनेशिया और अन्य प्रशांत देशों में भी सुनामी की आशंकाएं तेज हो गई हैं। जापान में फुकुशिमा परमाणु संयंत्रों को खाली कराया गया, वहीं अमेरिका के हवाई और अलास्का राज्यों में अलर्ट जारी कर दिया गया है।
भूकंप का केंद्र और असर
रूस के पूर्वी छोर पर स्थित कमचटका प्रायद्वीप में यह भूकंप मंगलवार सुबह आया। अमेरिकी भौगोलिक सर्वेक्षण एजेंसी (USGS) के मुताबिक, इस भूकंप की तीव्रता 8.8 मापी गई, जो पिछले कुछ वर्षों में सबसे शक्तिशाली भूकंपों में से एक है।
कमचटका क्षेत्र पहले भी भूकंपों की चपेट में रहा है—1952 में यहां 9.0 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसने सूनामी के रूप में भारी तबाही मचाई थी।
जापान में सुरक्षा कदम
इस भूकंप का असर जापान तक महसूस किया गया। होक्काइडो प्रांत में सुनामी की पहली लहरें दर्ज की गईं, जिनकी ऊंचाई लगभग 40 सेंटीमीटर रही। इसके बाद फुकुशिमा दाइची और फुकुशिमा दाइनी न्यूक्लियर पावर प्लांट को एहतियातन खाली कर दिया गया।
2011 में आए विनाशकारी जापानी भूकंप और सुनामी के चलते फुकुशिमा संयंत्र में रेडिएशन रिसाव हुआ था, जिसके चलते सरकार इस बार कोई जोखिम नहीं लेना चाहती।
अमेरिका में सतर्कता
अमेरिका के अलास्का और हवाई राज्यों में सुनामी चेतावनी जारी की गई है। हवाई के गवर्नर जोश ग्रीन ने नागरिकों से शांत रहने और ऊंचाई वाली जगहों की ओर जाने की अपील की है।
हालांकि अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि हवाई में फिलहाल सुनामी के बड़े प्रभाव की संभावना नहीं है, लेकिन सतर्कता के तौर पर समुद्री किनारों को खाली कराया जा रहा है।
अन्य देशों पर असर
भूकंप और सुनामी की आशंका को देखते हुए चीन, फिलीपींस, इंडोनेशिया, पेरू, इक्वाडोर, गुआम और माइक्रोनेशिया में भी सुनामी चेतावनी जारी की गई है।
सेवेरो कुरिलस्क क्षेत्र में बाढ़ जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं और पेत्रोपावलोव्स्क क्षेत्र की इमारतों को नुकसान पहुंचा है। कुछ लोग घायल भी हुए हैं।
क्या है सुनामी?
‘सुनामी’ शब्द जापानी भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है ‘बंदरगाह की लहरें’। सुनामी समुद्र के भीतर आने वाली तेज़ और गहरी हलचलों के कारण उत्पन्न होती है।
जब समुद्र तल में भूगर्भीय हलचल होती है—जैसे भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, ज़मीन धंसना या उल्कापात—तो पानी की सतह अचानक ऊपर उठती है और कई मीटर ऊंची लहरों का सिलसिला शुरू हो जाता है, जो तेज़ी से तटीय इलाकों की ओर बढ़ता है।
सुनामी का पूर्वानुमान कितना सटीक होता है?
भूकंप की तरह ही सुनामी का पूर्वानुमान लगाना भी कठिन होता है। वैज्ञानिक केवल संभावना व्यक्त कर सकते हैं, लेकिन सटीक समय और स्थान नहीं बता सकते।
हालांकि, अब पृथ्वी की टेक्टॉनिक प्लेट्स की स्थिति और पुराने रिकॉर्ड्स के आधार पर कुछ हद तक अलर्ट जारी किए जा सकते हैं। यही कारण है कि प्रशांत महासागर के आसपास के देशों में सुनामी वॉर्निंग सिस्टम्स लगाए गए हैं।
क्यों नहीं हर भूकंप से आता है सुनामी?
हर भूकंप सुनामी नहीं लाता। इसके लिए ज़रूरी है कि भूकंप का केंद्र समुद्र के नीचे या उसके पास हो, और उसमें पर्याप्त ताकत हो जिससे समुद्र तल की परत ऊपर या नीचे खिसक जाए।
यदि भूकंप स्थलीय हो या उसकी तीव्रता कम हो, तो सुनामी लहरें नहीं उठतीं। लेकिन यदि ये शर्तें पूरी हों, तो सुनामी लहरें कई मीटर ऊंचाई तक जा सकती हैं।
तट पर टकराने के बाद क्या होता है?
जैसे-जैसे सुनामी लहरें तट की ओर बढ़ती हैं, उनकी गति कम होती जाती है, लेकिन उनकी ऊंचाई और विनाशकारी शक्ति बढ़ जाती है।
इन लहरों की ताकत इतनी होती है कि वे 30 मीटर तक ऊंची हो सकती हैं और अपने रास्ते में आने वाले हर निर्माण, पेड़, वाहन या इंसान को बहा सकती हैं।
निष्कर्ष: सतर्कता ही बचाव
रूस में आया यह भूकंप एक बार फिर इस सच्चाई को उजागर करता है कि प्रकृति के सामने मनुष्य की तैयारी सीमित होती है। आधुनिक चेतावनी प्रणालियों के बावजूद, सतर्कता और समय पर प्रतिक्रिया ही जान-माल की रक्षा कर सकती है।
भविष्य के लिए यह ज़रूरी हो गया है कि सभी देश—विशेष रूप से समुद्र तट से सटे राष्ट्र—अपनी आपदा प्रतिक्रिया प्रणाली को मज़बूत करें और आम नागरिकों को जागरूक करें।