Saturday, August 2, 2025
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खरगे ने सरकार पर लगाया विपक्ष की आवाज दबाने का आरोप

नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान मंगलवार को विपक्ष के नेता एवं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार पर जमकर निशाना साधा। इस दौरान नेता सदन जेपी नड्डा और खरगे के बीच तीखी बहस देखने को मिली। नड्डा ने खरगे पर निशाना साधा और ऐसी टिप्पणी कर दी जिसपर विपक्षी सदस्य भड़क गए। हालांकि नड्डा ने अपना बयान वापस लेते हुए सदन में उनसे माफी भी मांग ली। खरगे ने कहा कि पहलगाम मामले का भाजपा राजनीतिकरण कर रही है। हर बयान में राजनीतिकी बात करते हैं। इन सब से उनकी बात बननी वाली नहीं है। किसी को दोष देकर अपनी जिम्मेदारी से सरकार नहीं भाग सकती।

खरगे ने सरकार पर विपक्ष की आवाज को दबाने का आरोप लगाते हुए कहा कि आज लोकतंत्र की आत्मा को कुचलने की कोशिश की जा रही है। खरगे ने तीखे लहजे में कहा, आज के प्रधानमंत्री विपक्ष की बात सुनने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जब भी कोई संवेदनशील मुद्दा आता है, मोदी सरकार या तो भाग जाती है या फिर चुप्पी साध लेती है। उन्होंने कहा कि ये लोग ना तो विशेष सत्र बुलाते हैं और ना सच्चाई सामने लाते हैं। यहां तक कि जब सर्वदलीय मीटिंग होती है तो प्रधानमंत्री मोदी चुनाव प्रचार में व्यस्त हो जाते हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने कहा कि 24 अप्रैल को सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। पूरा विपक्ष मीटिंग में था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी नहीं आए। वे सउदी अरब से लौटते ही बिहार में रैली करने चले गए। क्या राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति प्रधानंमत्री की यही गंभीरता है? वर्ष 2016 में उरी और पठानकोट में आतंकी हमला हुआ। वर्ष 2019 में पुलवामा में आतंकी हमला हुआ। 2025 में पहलगाम में आतंकी हमला हुआ। इन सभी घटनाओं से साफ़ है कि बार-बार देश की सुरक्षा में चूक हो रही है। इन घटनाओं के लिए गृहमंत्री जिम्मेदार हैं। इसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए और उन्हें कुर्सी छोड़ देनी चाहिए।

सीजफायर पर खरगे ने कहा कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चला कर पाकिस्तान को घुटने के बल ला दिया, लेकिन फिर युद्ध विराम की घोषणा होती है। यह युद्धविराम की घोषणा न ही प्रधानमंत्री की ओर से होती है और न ही विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री की तरफ से। युद्ध विराम की घोषणा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप करते हैं। और यह बात वे 30 बार दोहरा चुके हैं। उन्होंने एक्स पोस्ट में कहा कि ट्रेड का इस्तेमाल कर युद्ध रुकवाया। व्यापार की बात किसके फायदे के लिए हुई। इस बात का जवाब सरकार को देना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री गालियों तक का हिसाब रखते हैं, लेकिन भारत के सम्मान के लिए राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ क्यों चुप्पी साधे बैठे। क्यों नहीं निंदा की। विदेश नीति के खिलाफ क्यों गए।

खरगे ने पूछा कि सरकार को बताना चाहिए कि यह सीजफायर किन शर्तों पर हुआ और किसके कहने पर हुआ। अगर अमेरिका के हस्तक्षेप के कारण हुआ तो देश की विदेश नीति का क्या हुआ। क्या हमें आर्थिक तौर पर धमकी मिली। खरगे ने कहा कि ईवेंटबाजी से देश नहीं चलता, विदेश नीति बनानी होगी। इंदिरागांधी से तुलना करते हैं तो प्रधानमंत्री को विदेश नीति पक्का करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पहलगाम के मुद्दे पर एक भी देश यहां तक की अमेरिका ने भी पाकिस्तान की निंदा नहीं की। यह दर्शाता है कि बुरे वक्त में देश के साथ कोई आने वाला नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि सीज फायर के बाद आईएमएफ और विश्व बैंक ने पाकिस्तान को बड़े आर्थिक पैकेज की घोषणा की। भारत ने इसका विरोध क्यों नहीं किया। इन दोनों संस्थाओं का विरोध क्यों नही किया। वो पैसा आतंकवादी को जाता है। प्रधानमंत्री चुप क्यों हैं। आपके साथ देश की एकता अखंडता के लिए विपक्ष हमेशा देश के साथ खड़ा है।

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