Saturday, August 2, 2025
Homeराष्ट्रीयMann Ki Baat : विज्ञान, विरासत, स्वच्छता और आत्मनिर्भरता का संदेश

Mann Ki Baat : विज्ञान, विरासत, स्वच्छता और आत्मनिर्भरता का संदेश

नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ (Mann Ki Baat) के 124वें संस्करण में देशवासियों को संबोधित करते हुए भारत की विविधता, वैज्ञानिक प्रगति, सांस्कृतिक विरासत, स्वच्छता अभियान, खेल नीति और आत्मनिर्भरता पर गहन विचार साझा किए। इस संवाद में उन्होंने भारत को भविष्य के लिए तैयार करने की दृष्टि से कई प्रेरणादायक उदाहरणों का उल्लेख किया, जिससे देश की सोच और दिशा का एक सकारात्मक चित्र उभरता है।

अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की छलांग: स्टार्टअप और छात्रों की भूमिका

प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में अंतरिक्ष से लौटे शुभांशु शुक्ला का उदाहरण देते हुए देश में विज्ञान और अंतरिक्ष को लेकर बढ़ती जिज्ञासा पर खुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद बच्चों और युवाओं में अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति नया उत्साह उत्पन्न हुआ है।

इस क्रम में उन्होंने ‘इंस्पायर मानक योजना’ की चर्चा की, जिसमें हर स्कूल से पाँच बच्चों को नवाचार के लिए चुना जाता है। अब तक लाखों बच्चे इस योजना से जुड़ चुके हैं, और चंद्रयान-3 के बाद इसमें दोगुनी वृद्धि देखी गई है।

प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि पांच साल पहले जहां भारत में 50 से भी कम स्पेस स्टार्टअप्स थे, वहीं अब इनकी संख्या 200 से अधिक हो चुकी है। यह बदलाव भारत के आत्मनिर्भर तकनीकी भविष्य की ओर एक बड़ा कदम है।

उन्होंने सभी नागरिकों से अपील की कि आगामी 23 अगस्त को ‘राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस’ के अवसर पर अपने रचनात्मक विचार नमो ऐप के माध्यम से साझा करें।

‘खूब खेलिए, खूब खिलिए’: खेलो भारत नीति 2025 का संकल्प

प्रधानमंत्री मोदी ने ‘खेलो भारत नीति 2025’ की घोषणा को एक क्रांतिकारी कदम बताया। इस नीति का उद्देश्य भारत को खेलों की महाशक्ति बनाना है। गांव, गरीब और बेटियाँ इसकी प्राथमिकता में हैं। स्कूलों और कॉलेजों को खेल को जीवनशैली का हिस्सा बनाने की प्रेरणा दी गई है।

उन्होंने स्पोर्ट्स स्टार्टअप्स को हर संभव सहयोग देने की बात कही, जिससे आत्मनिर्भर भारत का सपना मजबूत होगा। इसके साथ ही उन्होंने विश्व पुलिस और अग्निशमन खेल (WPF Games) में भारत के 600 पदकों की उपलब्धि का उल्लेख करते हुए देश की वर्दीधारी शक्ति को बधाई दी।

स्वच्छ भारत मिशन: एक दशक का जन आंदोलन

प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि ‘स्वच्छ भारत मिशन’ अब एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि एक जनआंदोलन बन गया है। 11 साल में यह अभियान देश की चेतना का हिस्सा बन चुका है। इस वर्ष 4500 से ज्यादा शहरों और कस्बों ने इसमें भाग लिया और 15 करोड़ से अधिक लोगों ने सहभागिता की।

प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड के कीर्तिनगर, अरुणाचल प्रदेश के रोइंग, मंगलुरु, भोपाल, लखनऊ, बिल्हा (छत्तीसगढ़) और पणजी (गोवा) जैसे शहरों के उदाहरण दिए, जहां नागरिकों ने सफाई और पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरणादायक प्रयास किए हैं।

भारत के ऐतिहासिक किले: ईंट-पत्थर नहीं, संस्कृति की आवाज

प्रधानमंत्री मोदी ने कालिंजर, चित्तौड़गढ़, रायगढ़, प्रतापगढ़, झांसी, ग्वालियर, चित्तौड़गढ़, रणथंभौर, और मराठा किलों की चर्चा करते हुए उन्हें भारत की संस्कृति, साहस और स्वाभिमान का प्रतीक बताया।

उन्होंने यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त 12 मराठा किलों, खासकर शिवाजी महाराज से जुड़ी ऐतिहासिक घटनाओं को देश के युवाओं से जानने और उनसे प्रेरणा लेने की अपील की।

भजन और पर्यावरण: क्योंझर की राधाकृष्ण संकीर्तन मंडली

प्रधानमंत्री ने ओडिशा के क्योंझर जिले की राधाकृष्ण संकीर्तन मंडली की सराहना की, जिसने भक्ति गीतों में पर्यावरणीय संदेश जोड़कर जंगल की आग के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाया। उन्होंने कहा कि भारत की लोक परंपराओं में आज भी समाज को दिशा देने की शक्ति है।

ज्ञान भारतम् मिशन और जैव विविधता संरक्षण

प्रधानमंत्री मोदी ने ‘ज्ञान भारतम् मिशन’ की घोषणा को ऐतिहासिक बताया। इस मिशन के तहत देशभर की प्राचीन पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण कर एक राष्ट्रीय डिजिटल रिपॉजिटरी बनाई जाएगी, जिससे छात्र और शोधकर्ता भारतीय ज्ञान परंपरा से जुड़ सकेंगे।

उन्होंने असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में की गई AI आधारित घासभूमि पक्षी गणना का उदाहरण देते हुए बताया कि तकनीक और संवेदनशीलता मिलकर प्रकृति संरक्षण के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं।

हथकरघा और स्वदेशी आंदोलन: आत्मनिर्भर भारत की नींव

प्रधानमंत्री ने 7 अगस्त को मनाए जाने वाले राष्ट्रीय हथकरघा दिवस की पृष्ठभूमि में स्वदेशी आंदोलन (1905) की चर्चा की। उन्होंने बताया कि यह आत्मनिर्भरता का प्रतीक रहा है, और आज भी देशी उत्पादों को बढ़ावा देना अत्यंत आवश्यक है।

उन्होंने महाराष्ट्र के पैठण, ओडिशा के मयूरभंज, और बिहार के नालंदा जैसे स्थानों की प्रेरणादायक कहानियाँ साझा कीं, जहां कारीगरों ने सरकारी सहयोग से अपनी आर्थिक स्थिति और पहचान को मजबूत किया।

निष्कर्ष: ‘मन की बात’ से राष्ट्रीय चेतना को नई दिशा

‘मन की बात’ का यह संस्करण एक बार फिर सिद्ध करता है कि कैसे प्रधानमंत्री मोदी अपने संवाद के माध्यम से न केवल नीतियों और योजनाओं का प्रचार करते हैं, बल्कि हर नागरिक को एक कर्तव्यबोध और प्रेरणा का संदेश भी देते हैं। विज्ञान, विरासत, स्वच्छता, खेल और संस्कृति—हर क्षेत्र को छूते हुए यह कार्यक्रम आज भारत की राष्ट्रीय चेतना को दिशा देने वाला माध्यम बन चुका है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

वेब वार्ता समाचार एजेंसी

संपादक: सईद अहमद

पता: 111, First Floor, Pratap Bhawan, BSZ Marg, ITO, New Delhi-110096

फोन नंबर: 8587018587

ईमेल: webvarta@gmail.com

सबसे लोकप्रिय

Recent Comments