ई पेपर
Monday, September 15, 2025
WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक
सब्सक्राइब करें
हमारी सेवाएं

सुप्त आग से कैसे निकल आई चिंगारी, कंबोडिया-थाईलैंड तनाव के पीछे यह है असली वजह

नोम पेन्ह/बैंकॉक, (वेब वार्ता)। थाईलैंड के साथ सीमा पर संघर्ष में कम से कम 13 कंबोडियाई मारे गए हैं और 71 अन्य घायल हो गए। यह संघर्ष तीसरे दिन भी जारी रहा। कंबोडिया के रक्षा मंत्रालय के उप-राज्य सचिव और प्रवक्ता माली सोचेता ने एक प्रेस वार्ता में बताया कि पांच कंबोडियाई सैनिक मारे गए और 21 अन्य घायल हो गए। ओड्डार मीनचे प्रांत में आठ नागरिक मारे गए और 50 अन्य घायल हो गए।

थाईलैंड के हमलों के कारण कुल 10,307 परिवारों और 35,829 कंबोडियाई लोगों को सुरक्षित स्थानों की ओर अपने घरों से भागना पड़ा है। इसी बीच विशेषज्ञों का कहना है कि थाईलैंड और कंबोडिया के बीच हाल ही में बढ़ा तनाव महज दुर्घटना नहीं है, बल्कि यह राजनीतिक गलतियों और राष्ट्रवादी प्रवृत्तियों की सुप्त आग को फिर से भडक़ाने का परिणाम है। मलेशिया में कुआलालंपुर स्थित मलाया विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबध एवं मानवाधिकार मामलों के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ खू यिंग हूई ने संवाद एजेंसी स्पुतनिक को बताया कि ताजा झड़पें लंबे समय से चले आ रहे तनाव और एक नई राजनीतिक चिंगारी का नतीजा हैं।

यहां से शुरू हुआ तनाव

थाईलैंड में शिनावात्रा और कंबोडिया में हुन परिवारों जैसे दो शक्तिशाली पक्षों से जुड़ा एक राजनीतिक नाटक इस मामले को और तूल दे रहा है। कुछ समय पहले थाईलैंड के प्रधानमंत्री पैतोंगतार्न शिनावात्रा और कंबोडिया के पूर्व प्रधानमंत्री हुन सेन के बीच एक लीक हुए विवादास्पद फ़ोन कॉल ने थाईलैंड में राजनीतिक उथल-पुथल मचा दी थी। इसने थाईलैंड सरकार को शर्मिंदा किया और दोनों पक्षों में राष्ट्रवादी भावनाओं को भडक़ाया। प्रोफ़ेसर ने कहा कि वर्तमान गोलीबारी ने ज़मीनी स्तर पर संघर्ष को फिर से ज़िंदा कर दिया, लेकिन राजनीतिक घटना ने इसे और तेज़ कर दिया। यह सिर्फ़ एक दुर्घटना नहीं थी। यह एक सुप्त आग थी, जिसे राजनीतिक ग़लतियों और राष्ट्रवादी अंतर्धाराओं ने फिर से भडक़ा दिया।

डॉ. हूई ने बताया कि इस तनाव में वृद्धि का दोनों देशों के लोगों, ख़ासकर सीमावर्ती इलाक़ों में रहने वालों पर गहरा असर पड़ा है क्योंकि वहां हज़ारों लोग पहले से ही विस्थापित हो चुके हैं। भौतिक परिणामों से परे दोनों देशों के समाजों के बीच अविश्वास गहराने का वास्तविक ख़तरा है। ऐसा होगा या नहीं यह इस बात पर निर्भर करता है कि राजनीतिक नेता और मीडिया इस संघर्ष को किस तरह पेश करते हैं। अगर पिछले टकरावों की ही तरह राष्ट्रवादी बयानबाज़ी तेज़ होती है, तब यह आसानी से सामाजिक तनाव में बदल सकता है। हमने पहले भी देखा है कि ग़लत सूचनाएं और भावनात्मक रूप से उत्तेजित आख्यान कितनी जल्दी जनभावनाओं को भडक़ा सकते हैं।

कब, क्या हुआ

पहली जुलाई को थाईलैंड के संवैधानिक न्यायालय ने सुश्री शिनावात्रा के खिलाफ संवैधानिक नैतिकता के कथित उल्लंघन के मामले को विचारार्थ स्वीकार कर लिया और उन्हें सरकार प्रमुख के रूप में उनके कर्तव्यों से अस्थायी रूप से मुक्त कर दिया। यह घटना तब हुई जब मीडिया ने सुश्री शिनावात्रा और श्री सेन के बीच लीक हुई फ़ोन कॉल प्रकाशित की जिसमें सुश्री शिनावात्रा ने 28 मई को एक विवादित तटस्थ क्षेत्र में थाईलैंड और कंबोडिया के सैन्य कर्मियों के बीच हुई झड़प के बाद उपजे तनाव को कम करने का प्रयास किया था।

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा संघर्ष 24 जुलाई को सशस्त्र संघर्ष में बदल गया। दोनों पक्षों के लोग मारे गए और कई घायल हुए जिनमें नागरिक भी शामिल थे। इस बीच शुक्रवार सुबह थाईलैंड की सेना ने कहा कि दोनों देशो के सैनिकों के बीच संघर्ष नए सिरे से तीव्र हो गया है और कंबोडियाई पक्ष ने कथित तौर पर एक बार फिर थाई क्षेत्र में नागरिक ठिकानों पर हमला करने के लिए बीएम-21 ग्रैड मल्टीपल लॉन्च रॉकेट प्रणाली का इस्तेमाल किया। सेना ने कहा कि थाई सैनिक सामरिक स्थिति के आधार पर उचित जवाबी कार्रवाई कर रहे हैं।

Author

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

वेब वार्ता समाचार एजेंसी

संपादक: सईद अहमद

पता: 111, First Floor, Pratap Bhawan, BSZ Marg, ITO, New Delhi-110096

फोन नंबर: 8587018587

ईमेल: webvarta@gmail.com

सबसे लोकप्रिय

खबरें और भी