हरदोई, लक्ष्मीकान्त पाठक (वेब वार्ता)। जिले में खरीफ सीजन चरम पर है, लेकिन किसान अपनी फसलों के लिए जरूरी डीएपी व यूरिया खाद को लेकर दर-दर भटक रहे हैं। धान, मक्का, बाजरा, ज्वार, उड़द, तिल्ली, गन्ना व कपास की बुवाई के बाद अब खाद की मांग तेज है। परंतु सहकारी समितियों की निष्क्रियता और बाजार में मचे कालाबाजारी के चलते किसान बेहद परेशान हैं।
प्रशासन व खाद विक्रेताओं की मिलीभगत के आरोप लग रहे हैं। निर्धारित दरों पर डीएपी ₹1350 व यूरिया ₹266.50 की जगह किसानों को डीएपी ₹1650 और यूरिया ₹330 में खरीदनी पड़ रही है। हैरानी की बात यह है कि निजी दुकानदार रसीद तक नहीं दे रहे। किसानों का कहना है कि खाद की खुलेआम कालाबाजारी हो रही है और प्रशासन चुप्पी साधे हुए है।
सहकारी समितियों की बदहाली
विकासखंड कछौना की बात करें तो केवल कछौना पतसेनी, बालामऊ, पुरवा (मतुआ) और गौसगंज की समितियां ही नाममात्र की सक्रिय हैं। इनमें से कछौना पतसेनी और पुरवा में तो सचिव की भी तैनाती नहीं है। वहीं महरी, सुठेना, हथौड़ा राज्य, पहावां व खजोहना की समितियां वर्षों से बंद पड़ी हैं। इन्हें दोबारा शुरू करने के नाम पर किसानों से सदस्यता शुल्क के रूप में लाखों रुपये वसूले गए, लेकिन आज तक कार्यान्वयन नहीं हो पाया।
रेलवे स्टेशन के पास स्थित उपभोक्ता संघ में संचालित पीसीएफ केंद्र भी कई वर्षों से बंद है। वहीं सक्रिय समितियों में खाद का आवंटन गुपचुप तरीके से केवल प्रभावशाली किसानों को किया जा रहा है, जबकि आम किसान खुली बाजार से ऊंचे दामों में खाद खरीदने को मजबूर है।
किसानों की जुबानी, खाद की जुर्माना
किसानों रमेश कुमार, रामखेलावन कनौजिया, दीनदयाल, अरुण कुमार, ऋषि सिंह, पंकज कुमार, मनोज पाल, हरिनाम व प्रेम कुमार यादव ने बताया कि वे लगातार सहकारी समितियों और बाजार के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें समय से खाद नहीं मिल पा रही। उन्होंने यह भी बताया कि खुले बाजार में बिकने वाली खाद की गुणवत्ता संदिग्ध है और निजी दुकानदारों द्वारा मिलावट की आशंका भी बनी रहती है।
भारतीय किसान यूनियन का हस्तक्षेप
किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष राज बहादुर सिंह यादव ने पूरे मामले की शिकायत शासन व प्रशासन से की है। उन्होंने कहा कि सरकार जहां किसानों की आय दोगुनी करने की बात कर रही है, वहीं ज़मीनी हकीकत बेहद चिंताजनक है। समय रहते इस संकट का समाधान नहीं किया गया, तो खरीफ फसलों पर गंभीर असर पड़ सकता है।
एक ओर सरकार आत्मनिर्भर भारत व किसानों की समृद्धि की बात करती है, दूसरी ओर खाद जैसे मूलभूत संसाधन की कालाबाजारी और कुप्रबंधन ने हरदोई के किसानों को भारी संकट में डाल दिया है। ज़रूरत है कि जिला प्रशासन तुरंत हस्तक्षेप कर कालाबाजारी पर लगाम लगाए और सहकारी समितियों को सक्रिय कर किसानों को राहत प्रदान करे।