-सतनपुर में सर्पदंश के शिकार को पहले इलाज नहीं मिला, फिर सम्मानजनक विदाई भी नहीं मिली
बारिश में भीगता रहा शव, मुक्तिधाम में नहीं है टीन की छत और मूलभूत सुविधा
गुना, (वेब वार्ता)। जिले के जनपद गुना के ग्राम सतनपुर में एक बार फिर इंसानियत और सिस्टम दोनों हार गए। एक बुजुर्ग की सांप के काटने से दर्दनाक मौत हो गई, लेकिन इससे भी बड़ा दर्द तब सामने आया जब गांव के मुक्तिधाम में छत तक नहीं मिली और उनके शव को टपकती बारिश में त्रिपाल तानकर विदा करना पड़ा। इलाज से लेकर अंत्येष्टि तक, हर मोर्चे पर लाचार दिखा सिस्टम। दरअसल जिले के बजरंगगढ़ थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम सतनपुर में शुक्रवार को जो हुआ, वह न केवल दिल दहला देने वाला था, बल्कि सिस्टम की नाकामी का आईना भी था। 60 वर्षीय बुजुर्ग हजरत सिंह अहिरवार को रात में सांप ने काट लिया। परिजन उन्हें तत्काल इलाज के लिए ले जाना चाहते थे, लेकिन ना समय पर सही चिकित्सा मिल सकी और ना ही जिंदगी बचाई जा सकी। दुखद यह कि उनकी मौत के बाद सम्मानजनक विदाई तक नसीब नहीं हुई।
गांव के भतीजे राजू अहिरवार ने बताया कि यह हादसा शुक्रवार तडक़े करीब 1 बजे का है। हजरत सिंह अपने घर में सो रहे थे, तभी सांप ने उन्हें डस लिया। दर्द से तड़पते हुए उन्होंने परिजनों को जगाया। घबराए परिजनों ने तुरंत गांव के एक स्थानीय डॉक्टर को बुलाया, जिसने प्राथमिक जांच कर हालत गंभीर बताई और जिला अस्पताल गुना ले जाने को कहा। परिजन बिना देर किए उन्हें वाहन से गुना अस्पताल लेकर निकले, लेकिन बारिश और खराब रास्तों से होते हुए आधे रास्ते में ही वृद्ध ने दम तोड़ दिया। इसके बाद शव को जिला अस्पताल लाया गया, जहां पुलिस की मौजूदगी में पोस्टमार्टम हुआ और शव परिजनों को सौंप दिया गया। पुलिस ने मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी है।
लेकिन सबसे शर्मनाक तस्वीर तो उसके बाद सामने आई। जब बारिश से तरबतर गांव के मुक्तिधाम में बुजुर्ग की अंतिम यात्रा उस तरह नहीं हो सकी जैसी किसी इंसान को विदा करते हुए होनी चाहिए थी। गांव के मुक्तिधाम में न तो टीन की छत है, न कोई पक्की व्यवस्था। पहले से ही भीषण बारिश ने हालत बदतर कर दी थी। ऐसे में ग्रामीणों ने मजबूरी में त्रिपाल तानकर जैसे-तैसे अंत्येष्टि की। घंटों की मशक्कत के बाद भीगते शव को मुक्तिधाम में अग्नि दी गई।
ग्रामीणों में आक्रोष
ग्रामीणों का कहना है कि मुक्तिधाम की हालत वर्षों से खराब है। कई बार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को अवगत कराया गया, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। टीन शेड जैसी मूलभूत सुविधा तक नहीं दी गई। ग्रामीणों के अनुसार टेड के ज्यादातर टीन गायब हैं। बारिश में शव को खुले आसमान के नीचे जलाना पड़ा, यह न केवल एक परिवार की वेदना थी, बल्कि पूरे गांव की पीड़ा भी। अब सवाल यह उठता है कि आखिर कब तक गांवों में मौत के बाद भी लोगों को सम्मान से विदाई नहीं मिलेगी? कब तक त्रिपाल तानकर जलाई जाएंगी चिताएं? और कब तक सिस्टम संवेदनहीन बना रहेगा? गांव के लोग प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि जल्द से जल्द मुक्तिधाम की हालत सुधारी जाए और कम से कम अंतिम संस्कार जैसे पवित्र कार्य के लिए उचित व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे भविष्य में किसी परिवार को इस तरह के अपमानजनक हालात का सामना न करना पड़े। इस बारे में गुना जनपद सीईओ गौरव खरे से संपर्क किया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।