Saturday, December 20, 2025
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न्यायालय ने फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ पर सुनवाई 21 जुलाई तक टाली

नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। उच्चतम न्यायालय ने ‘उदयपुर फाइल्स – कन्हैया लाल टेलर मर्डर’ मामले पर सुनवाई बुधवार को 21 जुलाई तक टाल दी और फिल्मकारों से फिल्म के खिलाफ आपत्तियों पर सुनवाई के लिए केंद्र द्वारा नियुक्त समिति का फैसला आने तक इंतजार करने को कहा।

समिति बुधवार को अपराह्न ढाई बजे इस मामले में सुनवाई करेगी।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे. बागची की पीठ ने फिल्मकारों से कहा कि फिल्म निर्माताओं को आर्थिक रूप से क्षतिपूर्ति तो दी जा सकती है लेकिन कन्हैया लाल दर्जी हत्याकांड के आरोपियों की छवि को नुकसान पहुंचने की भरपाई नहीं की जा सकती।

फिल्म निर्माताओं ने फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने संबंधी दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी।

पीठ ने केंद्र की समिति से सभी पक्षों को सुनने के बाद बिना समय गंवाए तुरंत निर्णय लेने को कहा और हत्या के मामले में अभियुक्तों का पक्ष भी सुनने का निर्देश दिया।

फिल्म 11 जुलाई को रिलीज होने वाली थी।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 10 जुलाई को ‘उदयपुर फाइल्स’ की रिलीज पर तब तक के लिए रोक लगा दी थी जब तक कि केंद्र फिल्म पर स्थायी प्रतिबंध लगाने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर फैसला नहीं कर लेता। याचिका में कहा गया है कि फिल्म समाज में ‘‘वैमनस्यता को बढ़ावा’’ दे सकती है इसलिए इसकी रिलीज पर रोक लगायी जानी चाहिए।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी द्वारा उच्च न्यायालय में दायर की गई याचिकाओं सहित अन्य याचिकाओं में दावा किया गया था कि 26 जून को जारी फिल्म का ट्रेलर ऐसे संवादों और दृश्यों से भरा पड़ा है जिनसे 2022 में सांप्रदायिक तनाव पैदा हुआ और आशंका है कि फिल्म की रिलीज से फिर से वही भावनाएं भड़क सकती हैं।

उदयपुर के एक दर्जी कन्हैया लाल की जून 2022 में कथित तौर पर मोहम्मद रियाज़ और मोहम्मद गौस ने हत्या कर दी थी।

हमलावरों ने बाद में एक वीडियो जारी किया था जिसमें दावा किया गया था कि पूर्व भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) नेता नूपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद पर की गई विवादास्पद टिप्पणी के बाद उनके समर्थन में दर्जी कन्हैया लाल शर्मा के सोशल मीडिया खाते पर कथित तौर पर साझा किए एक पोस्ट के जवाब में उसकी हत्या की गई थी।

इस मामले की जांच राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने की थी और आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धाराओं के अलावा कठोर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

यह मुकदमा जयपुर की विशेष एनआईए अदालत में लंबित है।

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