कुशीनगर 30 जुलाई (ममता तिवारी)! गंडक नदी के जलस्तर में उतार-चढ़ाव के चलते इसके किनारे बसे गांवों के लोगों की चिंता बढ़ गई है। इसके जलस्तर में उतार-चढ़ाव से कटान का खतरा बढ़ जाता है। शुक्रवार को दिन में खड्डा क्षेत्र के भैसहां गेज स्थल पर नदी का जलस्तर 1.29 लाख क्यूसेक था तो रात में बढ़कर 1.43 लाख क्यूसेक पर पहुंच गया।
क्षेत्र के लोगों का कहना है कि खड्डा से तमकुहीराज तहसील क्षेत्र में गंडक नदी का पानी पहुंचने में 24 घंटे लगते हैं। इसलिए शनिवार को दोपहर बाद से जलस्तर बढ़ने से लोग चिंतित हैं।
मानसून सत्र का एक महीना से अधिक समय बीत जाने के बाद एक बार फिर गंडक के जलस्तर में उतार.चढ़ाव शुरू हो गया है। पिछले तीन दिन से जो डिस्चार्ज सवा लाख क्यूसेक के आसपास बना हुआ था !
वह शुक्रवार की रात दस बजे अचानक बढ़ कर 1.43 लाख क्यूसेक के पार पहुंच गया। इससे अहिरौलीदान के कचहरी टोला में किलोमीटर 14.500 पर एपी बांध के जवहीदयाल में किलोमीटर 2.600 से किलोमीटर 3.000 के बीच , नरवाजोत में किलोमीटर 1.400 से किलोमीटर 1.700 के बीचए पिपराघाट के दहारी टोला से तवकल टोला के बीच, घघवा जगदीश से चैनपट्टी के बीच सहित कई अन्य संवेदनशील जगहों पर भी पानी का दबाव व कटान का खतरा बढ़ने लगा है।
तटबंधों के किनारे बसे गांवों के लोगों की चिंता बढ़ गई है। बांध किनारे बसे पुजारी सिंह, दूधनाथ शर्मा, का मानना है कि गंडक का डिस्चार्ज बढ़ने- घटने का यह सिलसिला अगस्त माह के अंतिम सप्ताह तक चलेगा। ऐसे में बांध की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए तो स्थिति कभी भी बिगड़ सकती है और बांध के साथ गांवों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।