नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति की ओर लौट रहा है। गुरुवार को नदी का जलस्तर चेतावनी के निशान से 1.21 मीटर नीचे दर्ज किया गया। इससे प्रशासन और नागरिकों को बाढ़ के तत्काल खतरे से राहत मिली है।
पुराने लोहे के पुल पर जलस्तर:
केंद्रीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष के अनुसार, गुरुवार सुबह पुराने लोहे के पुल पर यमुना का जलस्तर 203.29 मीटर दर्ज किया गया, जबकि चेतावनी स्तर 204.50 मीटर है। यह पुल यमुना में जल प्रवाह और संभावित बाढ़ की निगरानी का प्रमुख केंद्र माना जाता है।
हथिनीकुंड बैराज से पानी का बहाव बढ़ा था:
केंद्रीय जल आयोग (CWC) ने बताया कि मंगलवार को हरियाणा स्थित हथिनीकुंड बैराज से इस मानसून सत्र में पहली बार 50,000 क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा गया, जो रात करीब 1 बजे 54,707 क्यूसेक तक पहुंच गया था।
बैराज से छोड़ा गया पानी दिल्ली तक पहुंचने में 48 से 50 घंटे का समय लेता है।
पिछले वर्षों की तुलना:
सितंबर 2022: यमुना का जलस्तर 204.38 मीटर तक पहुंचा था।
जुलाई 2023: बाढ़ की भयावह स्थिति में नदी का जलस्तर रिकॉर्ड 208.66 मीटर तक पहुंच गया था।
इसके चलते मयूर विहार, आईटीओ, सलीमगढ़ बाईपास और सिविल लाइंस जैसे इलाके जलमग्न हो गए थे और हजारों लोग विस्थापित हुए थे।
बाढ़ नियंत्रण और चेतावनी व्यवस्था:
दिल्ली सरकार की बाढ़ नियंत्रण योजना के तहत पहली आधिकारिक चेतावनी तब जारी की जाती है, जब हथिनीकुंड बैराज से एक लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा जाता है। वर्तमान में स्थिति नियंत्रण में मानी जा रही है, लेकिन विभाग लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है।
हालांकि फिलहाल यमुना का जलस्तर खतरे से नीचे है, लेकिन मानसून की अनिश्चितता को देखते हुए सतर्कता जरूरी है। प्रशासन को चाहिए कि वह पिछले वर्ष जैसी आपदाओं से सबक लेकर राहत और बचाव योजनाओं को सक्रिय बनाए रखे।