मुकेश शर्मा | वेब वार्ता | ग्वालियर
गोहद (भिंड)। मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड भोपाल द्वारा स्पष्ट निर्देशों के बावजूद गोहद तहसील अंतर्गत वक्फ संपत्ति पर हो रहे अतिक्रमण को लेकर जिला प्रशासन की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। इस मामले ने अब धार्मिक और सामाजिक आयाम पकड़ लिए हैं। मुस्लिम समाज ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो धरना-प्रदर्शन से लेकर कानूनी विकल्प तक अपनाए जाएंगे।
वक्फ बोर्ड ने दिए थे कलेक्टर और एसपी को स्पष्ट निर्देश
वक्फ बोर्ड भोपाल ने 22 जुलाई 2025 को पत्र क्रमांक 1809/तो/13 के माध्यम से पुलिस अधीक्षक भिंड को निर्देश जारी किए थे, जिसमें वक्फ संपत्ति पर हो रहे अवैध कब्जे और जमीन की गैरकानूनी खरीद-फरोख्त को गंभीर अपराध बताया गया। इसके बाद, 25 जुलाई 2025 को एक और पत्र 2625/तो/264 जिलाधिकारी भिंड को भेजा गया, जिसमें उसी मुद्दे पर सख्त कार्रवाई की मांग की गई थी।
फिर भी मौन है प्रशासन
इन आधिकारिक पत्रों और वक्फ अधिनियम 1995 की धाराओं के उल्लंघन के बावजूद, अब तक न तो अतिक्रमण हटाया गया और न ही आरोपियों पर कोई दंडात्मक कार्रवाई हुई है। इससे स्पष्ट होता है कि जिला प्रशासन इस गंभीर मामले पर या तो लापरवाह है या फिर राजनीतिक दबाव में काम कर रहा है।
कानूनी जीत के बाद भी कार्रवाई नहीं
बताया जा रहा है कि संबंधित भूमि पर पहले ही सिविल न्यायालय गोहद, राज्य वक्फ अधिकरण भोपाल और यहां तक कि माननीय उच्च न्यायालय ग्वालियर तक ने वक्फ बोर्ड के पक्ष में निर्णय सुनाया है। इसके बावजूद, अतिक्रमण जारी रहना न केवल कानूनी अवमानना है, बल्कि मुस्लिम समाज की धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ भी है।
बिक गई धार्मिक जमीन?
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, कुछ प्रभावशाली भू-माफियाओं द्वारा उक्त वक्फ संपत्ति को अवैध रूप से बेचने की कोशिश की गई है। भूमि सार्वजनिक उपयोग और धार्मिक महत्व की है, ऐसे में इसे निजी स्वामित्व में देना पूरी तरह गैरकानूनी है।
मुस्लिम समाज का आक्रोश: प्रशासनिक निष्क्रियता बर्दाश्त नहीं
स्थानीय मुस्लिम समाज ने प्रशासन की निष्क्रियता पर कड़ा रोष जताया है। समाजसेवी संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने चेताया है कि अगर शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन और न्यायालय की शरण लेने जैसे विकल्प खुले हैं।
प्रमुख मांगें:
अवैध कब्जाधारियों से वक्फ भूमि तत्काल खाली कराई जाए।
संपत्ति बेचने वालों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए।
प्रशासन की भूमिका की उच्च स्तरीय जांच हो।
तहसील और राजस्व अधिकारियों की जवाबदेही तय हो।
क्या कहता है वक्फ अधिनियम 1995?
वक्फ अधिनियम 1995 की धारा 51 और 52 के अनुसार, किसी वक्फ संपत्ति की खरीद-फरोख्त या उस पर कब्जा अपराध की श्रेणी में आता है। इसका उल्लंघन करने वालों पर कठोर दंड का प्रावधान है।
निष्कर्ष:
इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर यह साबित किया है कि प्रशासनिक स्तर पर प्रभावशाली लोगों के दबाव में कानून की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं। वक्फ बोर्ड और मुस्लिम समाज की भावनाओं को दरकिनार करते हुए जिस तरह इस धार्मिक भूमि पर व्यापारिक स्वार्थ साधे जा रहे हैं, वह चिंता का विषय है। अब समय आ गया है कि जिम्मेदार अधिकारी हरकत में आएं और दोषियों को कानून के कटघरे में लाएं।