- उत्तर प्रदेश बाढ़ संकट: 17 जिले जलमग्न, वाराणसी-प्रयागराज में गंगा का कहर, सपा ने सरकार को घेरा
लखनऊ, (वेब वार्ता)। उत्तर प्रदेश इन दिनों भीषण बाढ़ और मूसलधार बारिश की दोहरी मार झेल रहा है। राज्य के 17 जिले बाढ़ से पूरी तरह प्रभावित हो चुके हैं, जबकि 24 जिलों में भारी बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। गंगा, यमुना और बेतवा जैसी प्रमुख नदियां कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।
वाराणसी और प्रयागराज जैसे शहरों में हालात सबसे चिंताजनक बने हुए हैं। वाराणसी में गंगा नदी 72.1 मीटर तक पहुंच चुकी है, जो खतरे के स्तर 71.262 मीटर से ऊपर है। घाट जलमग्न हो चुके हैं, जिससे गंगा आरती और अंतिम संस्कार जैसे धार्मिक कार्य ऊंचे चबूतरों और छतों पर किए जा रहे हैं।
🌀 प्रयागराज: 200 गांव बाढ़ की चपेट में
प्रयागराज में यमुना और गंगा दोनों नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। नैनी में यमुना 86.04 मीटर और फाफामऊ में गंगा 86.03 मीटर के स्तर तक पहुंच चुकी हैं। इससे शहर की 60 से अधिक बस्तियां और ग्रामीण क्षेत्रों के 200 से ज्यादा गांव जलमग्न हो चुके हैं।
प्रशासन ने बाढ़ राहत केंद्र स्थापित किए हैं, नावों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है और प्रभावित क्षेत्रों में एनडीआरएफ की टीमें राहत कार्य में लगी हुई हैं।
🧭 बाढ़ प्रभावित जिलों की सूची:
प्रयागराज, वाराणसी, मिर्जापुर, बलिया, बांदा, हमीरपुर, इटावा, जालौन, चित्रकूट, फतेहपुर, कानपुर देहात, कानपुर नगर, गाजीपुर, औरैया, आगरा, लखीमपुर खीरी, चंदौली।
🚨 घटिया इंतजाम पर सपा का तीखा हमला
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने प्रदेश सरकार पर बाढ़ प्रबंधन में विफल रहने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि BJP सरकार ‘इवेंट मैनेजमेंट’ में व्यस्त है जबकि आम जनता बाढ़ और बदइंतजामी से जूझ रही है। उन्होंने ट्वीट कर कहा:
“भ्रष्ट और नाकाम भाजपा सरकार जनकल्याण छोड़कर केवल आयोजन में लगी है। बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में न दवा है, न खाना, न बिजली, न कोई राहत।”
उन्होंने यह भी कहा कि गरीब-मजदूर भूखे मरने की कगार पर हैं, लोगों की संपत्ति, प्रमाणपत्र और शैक्षणिक दस्तावेज बह गए हैं और बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई है।
🧪 स्वास्थ्य संकट गहराया
बाढ़ से जलजनित बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। अस्पतालों में व्यवस्था चरमराई हुई है। मोबाइल चार्ज न हो पाने से संवाद ठप हो चुका है, जिससे बचाव व राहत कार्य प्रभावित हो रहे हैं। गांवों में शौचालय की स्थिति बदतर है, जिससे लोग अमानवीय हालातों में जीने को मजबूर हैं।