लखनऊ, (वेब वार्ता)। उत्तर प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र 11 अगस्त से शुरू होकर 16 अगस्त तक चलेगा। सत्र की शुरुआत से ही सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बयानबाजी देखने को मिल रही है। सत्ताधारी दल का दावा है कि यह सत्र ऐतिहासिक और विकास की दिशा में निर्णायक होगा, जबकि विपक्ष आरोप लगा रहा है कि सरकार जनहित के मुद्दों पर चर्चा से बच रही है।
सत्ता पक्ष का दावा – “ऐतिहासिक होगा सत्र”
वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि इस बार का मानसून सत्र कई मायनों में ऐतिहासिक होगा। उन्होंने बताया कि सत्र में विजन डॉक्यूमेंट-2047 पर विस्तृत चर्चा होगी, जिसमें 1950 से लेकर अब तक उत्तर प्रदेश की आर्थिक, सामाजिक और बुनियादी ढांचे की प्रगति का विश्लेषण किया जाएगा। इसके साथ ही भविष्य के उत्तर प्रदेश की विकास रूपरेखा भी तय की जाएगी।
भाजपा विधायक राकेश प्रताप सिंह ने कहा,
“हमारा फोकस उत्तर प्रदेश को राष्ट्र और सनातन को मजबूत करने पर होगा। विधानसभा को 24 घंटे चलाने के प्रस्ताव का हम स्वागत करते हैं, क्योंकि कर्म के आधार पर ही प्रदेश को विकसित किया जा सकता है।”
विपक्ष का पलटवार – “चर्चा से भाग रही है सरकार”
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. संग्राम यादव ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि विपक्ष के पास किसानों, बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली विभाग के निजीकरण जैसे कई अहम मुद्दे हैं, जिन पर चर्चा जरूरी है।
लेकिन, उनका आरोप है कि सरकार विपक्ष के किसी सुझाव को स्वीकार करने को तैयार नहीं है और सार्थक बहस से बच रही है।
उन्होंने तंज कसते हुए कहा,
“भाजपा का विजन डॉक्यूमेंट सिर्फ दिखावा है। पिछले विधानसभा चुनाव में किए गए वादों को भी सरकार अब तक पूरा नहीं कर पाई है, ऐसे में नया विजन डॉक्यूमेंट लाना जनता के साथ छल है।”
जनता से जुड़े मुद्दों पर टकराव
विपक्ष का कहना है कि प्रदेश में किसानों की हालत खराब है, युवा बेरोजगारी से परेशान हैं और विद्यार्थियों को समय पर परीक्षा एवं परिणाम न मिलने की समस्या झेलनी पड़ रही है। कई परीक्षाएं न्यायालय में अटकी हुई हैं, जिससे युवाओं का भविष्य दांव पर है।
सर्वदलीय बैठक में CM का बयान
सत्र शुरू होने से एक दिन पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सर्वदलीय बैठक में सभी दलों से रचनात्मक चर्चा की अपील की थी। उन्होंने कहा,
“विजन डॉक्यूमेंट किसी दल का एजेंडा नहीं, बल्कि प्रदेश के भविष्य का साझा खाका है। सभी दलों के सुझाव इसमें शामिल किए जाएंगे।”
निष्कर्ष
यूपी विधानसभा का यह मानसून सत्र विकास और जनहित के मुद्दों पर चर्चा के लिए एक अहम अवसर माना जा रहा है। हालांकि, सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जिस तरह की तल्खी पहले दिन से देखने को मिल रही है, उससे साफ है कि यह सत्र बहस और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप से भरपूर रहेगा।