Tuesday, December 23, 2025
व्हाट्सएप पर हमसे जुड़ें

मोबाइल में गुम बचपन, कोरोनाकाल के बाद 5 गुना बढ़ा बच्चों में दृष्टिदोष

धोखा दे रही नज़र… अब 5 साल के बच्चों की आँखों पर चढ़ा चश्मा

हरदोई, लक्ष्मीकान्त पाठक (वेब वार्ता)। कोरोना लॉकडाउन में ऑनलाइन क्लास और मोबाइल पर घंटों बिताने की आदत अब बच्चों की आँखों पर भारी पड़ रही है। हालत यह है कि छोटे-छोटे बच्चों को भी अब चश्मे का सहारा लेना पड़ रहा है। नेत्र रोग विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना से पहले जहाँ 100 बच्चों में 2-3 को ही चश्मे की ज़रूरत होती थी, वहीं अब यह संख्या 8-10 तक पहुँच गई है।

यानी, महज़ चार साल में बच्चों की आँखों की रोशनी प्रभावित होने के मामले 4 से 5 गुना तक बढ़ गए हैं।

ऑनलाइन क्लास बनी आदत, फिर नशा

लॉकडाउन के दौरान बच्चों को स्मार्टफोन थमाकर ऑनलाइन क्लास करवाई गई। लेकिन यही सुविधा बाद में लत बन गई।
आज हाल यह है कि बच्चा दूध न पीए तो मोबाइल, पढ़ाई से ऊब जाए तो मोबाइल, रोना-धोना करे तो मोबाइल!
यूट्यूब और गेम्स में डूबे बच्चे अब स्कूल में ब्लैकबोर्ड भी साफ नहीं देख पा रहे। पीटीएम में शिक्षकों की शिकायत के बाद जब बच्चों की जाँच कराई गई, तो उनकी नज़र कमज़ोर पाई गई और चश्मे लगवाने पड़े।

डॉक्टरों की चेतावनी

नेत्र रोग विशेषज्ञ कर्ण सिंह राणा बताते हैं –

“बढ़ता स्क्रीन टाइम बच्चों की नज़र का सबसे बड़ा दुश्मन है। पाँच साल के मासूम भी चश्मा लगा रहे हैं। माता-पिता को चाहिए कि बच्चों की आँखों की समय-समय पर जाँच करवाएँ और उन्हें मोबाइल से दूरी बनवाएँ।”

बचपन की आँखें कैसे बचाएँ?

🔹 हर 6 माह में आँखों की जाँच कराएँ।
🔹 बच्चों को फल, हरी सब्ज़ियाँ और प्रोटीनयुक्त भोजन दें।
🔹 रोज़ 9–10 घंटे की नींद ज़रूरी।
🔹 टीवी, मोबाइल और कंप्यूटर का समय सीमित करें।
🔹 अपनाएँ “20-20-20 नियम” – हर 20-30 मिनट बाद 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर देखें।
🔹 आँखों को रगड़ने से बचाएँ।
🔹 डॉक्टर द्वारा दिए गए चश्मे का नियमित उपयोग करें।

Author

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -spot_img

Latest

More articles