कुशीनगर, ममता तिवारी (वेब वार्ता)। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जनपद के रामकोला में स्थित त्रिवेणी शुगर मिल प्रांगण में बुधवार को 33वां किसान शहीद दिवस बड़े ही श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया गया। इस अवसर पर शहीद किसान समाधि स्थल पर करहल विधायक तेज प्रताप यादव ने शहीद किसानों जमादार मियां और पड़ोही दलित को पुष्पांजलि अर्पित की। कार्यक्रम में पूर्व मंत्री ब्रह्मशंकर त्रिपाठी, किसान आंदोलन के नायक और कार्यक्रम संयोजक पूर्व मंत्री राधेश्याम सिंह, पूर्व विधान परिषद सदस्य एवं जिलाध्यक्ष राम अवध यादव तथा पूर्व जिला अध्यक्ष इलियास अंसारी समेत कई प्रमुख नेता उपस्थित रहे। हजारों की संख्या में जुटे किसानों और कार्यकर्ताओं ने शहीदों को याद कर उनकी शहादत को सलाम किया।
1992 की ऐतिहासिक घटना: गन्ना बकाया आंदोलन और पुलिस फायरिंग
यह आयोजन हर साल 1992 की उस दुखद घटना की याद में किया जाता है, जब रामकोला की गंगेश्वर चीनी मिल पर किसानों का 9.5 करोड़ रुपये का गन्ना मूल्य बकाया था। किसानों ने अपने हक के लिए आंदोलन शुरू किया, जो 23 दिनों तक चला। 10 सितंबर 1992 को तत्कालीन सरकार ने निहत्थे किसानों पर गोलियां चलवाईं, जिसमें जमादार मियां और पड़ोही दलित (जिन्हें कुछ स्रोतों में परोही गौतम या पुरोहित हरिजन के नाम से भी जाना जाता है) शहीद हो गए। इस घटना ने पूरे उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन को नई दिशा दी और किसानों के अधिकारों की लड़ाई को मजबूत किया। आज भी यह दिवस किसानों की शहादत और उनके संघर्ष की याद दिलाता है, जो गन्ना किसानों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बना हुआ है।
किसान शहीद दिवस न केवल शहीदों को श्रद्धांजलि देने का माध्यम है, बल्कि वर्तमान समय में भी किसानों की समस्याओं जैसे गन्ना भुगतान में देरी, फसल बीमा, और कृषि नीतियों पर चर्चा का मंच प्रदान करता है। इस वर्ष के कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी के नेताओं ने भाजपा सरकार पर किसान विरोधी नीतियों का आरोप लगाते हुए कहा कि किसानों की आवाज को दबाया जा रहा है।
इस वर्ष का मुख्य आकर्षण: शिक्षक अवध ओझा की प्रेरणादायक बातें
इस बार के किसान शहीद दिवस मेले में प्रसिद्ध शिक्षक और मोटिवेशनल स्पीकर अवध ओझा मुख्य आकर्षण रहे। युवाओं में उनकी बातें सुनने का विशेष उत्साह देखा गया। ओझा ने अपने भाषण में किसानों की शहादत को याद करते हुए युवाओं को कृषि क्षेत्र में योगदान देने और संघर्ष की भावना को जीवित रखने की अपील की। उनकी मौजूदगी ने कार्यक्रम को और अधिक जीवंत बना दिया, और हजारों युवा किसान उनकी बातों से प्रेरित हुए। प्रशासन ने बड़ी संख्या में लोगों के जुटने की संभावना को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे, जिसमें पुलिस बल की तैनाती और यातायात व्यवस्था शामिल थी।
प्रमुख अतिथि और प्रतिभागी: समाजवादी पार्टी का मजबूत प्रदर्शन
कार्यक्रम में रणविजय सिंह, रामकोला ब्लॉक प्रमुख दिग्विजय सिंह, लक्ष्मण छोटे लाल यादव, रामनिवास यादव, भोला यादव, गिरजेश यादव, राजेश राव, सतीश मौर्य, बिनोद यादव, देवेंद्र राव, देवेंद्र यादव, विजय यादव, विरेंद्र यादव समेत हजारों कार्यकर्ता और किसान शामिल हुए। समाजवादी पार्टी के नेताओं ने इस अवसर पर किसानों की एकजुटता पर जोर दिया और कहा कि शहीदों की कुर्बानी व्यर्थ नहीं जाएगी। तेज प्रताप यादव ने अपने संबोधन में कहा, “किसान देश की रीढ़ हैं, और उनकी समस्याओं का समाधान प्राथमिकता होनी चाहिए।”
सुरक्षा और आयोजन की तैयारी
कुशीनगर प्रशासन ने कार्यक्रम की सफलता के लिए पहले से ही तैयारी कर ली थी। मेले में स्टॉल, सांस्कृतिक कार्यक्रम और किसान जागरूकता सत्र भी आयोजित किए गए। कोविड-19 के बाद यह पहला ऐसा बड़ा आयोजन था जहां इतनी बड़ी संख्या में लोग जुटे, लेकिन सभी नियमों का पालन किया गया। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह दिवस न केवल इतिहास को याद करने का माध्यम है, बल्कि किसानों की वर्तमान चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर भी प्रदान करता है।
निष्कर्ष: किसानों की शहादत की अमर कहानी
किसान शहीद दिवस कुशीनगर के रामकोला में हर साल किसानों की एकजुटता और उनके अधिकारों की याद दिलाता है। 1992 की घटना आज भी प्रासंगिक है, क्योंकि गन्ना किसान अभी भी भुगतान में देरी और अन्य मुद्दों से जूझ रहे हैं। इस कार्यक्रम से निकलने वाला संदेश स्पष्ट है – किसानों का सम्मान और उनके हक की लड़ाई जारी रहेगी। समाजवादी पार्टी ने इस आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और आने वाले वर्षों में यह परंपरा और मजबूत होगी।