कुशीनगर, ममता तिवारी (वेब वार्ता)। जनपद कुशीनगर में पारदर्शी और जनसुलभ राजस्व प्रशासन को सुनिश्चित करने के लिए जिला प्रशासन ने भूमियों की विरासत संबंधी प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है। जिलाधिकारी के निर्देशानुसार, अब डिमांड आधारित प्रक्रिया के बजाय सप्लाई आधारित प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
इस नवाचार के तहत, ग्रामीणों को अपने पूर्वजों के निधन के बाद स्वयं आवेदन करने की आवश्यकता नहीं होगी। इसके बजाय, लेखपाल स्वयं ग्राम स्तर पर सर्वेक्षण करेंगे और मृतक काश्तकारों की पहचान कर खतौनी में संशोधन कर वैधानिक रूप से वारासत दर्ज करेंगे।
पूर्व में, आवेदन न करने या जटिल प्रक्रियाओं के कारण प्रकरण लंबित रहते थे, जिससे आमजन को असुविधा होती थी और भ्रष्टाचार की संभावना बढ़ जाती थी। नई प्रक्रिया से प्रशासनिक कार्य में पारदर्शिता बढ़ेगी, जनविश्वास सुदृढ़ होगा तथा प्रक्रिया में तेजी आएगी।
तहसील सदर के सभी ग्रामों में लेखपाल खतौनी का पठन-परीक्षण कर रहे हैं। मृतक काश्तकार की पुष्टि होते ही उनके नाम का शुद्धिकरण कर उत्तराधिकारियों के नाम दर्ज किए जा रहे हैं। यह पहल राज्य सरकार और राजस्व विभाग की जन-केंद्रित सेवा नीति के अनुरूप है।
तहसील पडरौना के लेखपालों को निर्देश दिए गए हैं कि वे हर चार दिन में अपने कार्यक्षेत्र के किसी एक ग्राम के प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करें, जिसमें यह सुनिश्चित हो कि खतौनी में किसी मृतक व्यक्ति का नाम अंकित नहीं बचा है और सभी की वरासत दर्ज हो चुकी है।
यह कदम कुशीनगर जिला प्रशासन की दक्षता और पारदर्शिता को बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है, जिससे आम जनता को सुविधाजनक और त्वरित सेवा प्राप्त होगी।