हरदोई, लक्ष्मीकांत पाठक (वेब वार्ता)। उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के विकास खंड शाहाबाद की ग्राम पंचायत रामपुर हमजा में मनरेगा योजना के तहत कैटल शेड (मवेशी आश्रय) निर्माण के नाम पर लाखों रुपये की गड़बड़ी का मामला सामने आया है। मनरेगा अभिलेखों के अनुसार, यहां 24 कैटल शेड बनाए जाने थे, प्रत्येक की लागत लगभग ₹1,02,851 थी, जो कुल ₹24.68 लाख रुपये बनती है। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि ज़मीन पर एक भी शेड नहीं बना है—सब कागजी घोड़े दौड़ाए गए हैं। पंचायत सचिव और ग्राम प्रधान पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए ग्रामीणों ने उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
यह घोटाला ग्रामीण विकास की महत्वपूर्ण योजना मनरेगा की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है, जहां गरीबों के लिए रोजगार और बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित करने का दावा किया जाता है। ग्रामीणों ने बताया कि जब अधिकारियों से शिकायत की जाती है, तो रटा-रटाया जवाब मिलता है—”जांच कराई जाएगी, दोषी पर कार्रवाई होगी।” अब अधिकारी लिखित शिकायतें भी मांग रहे हैं, जो भ्रष्टाचार पर चुप्पी का संकेत देता है।
हरदोई शाहाबाद ब्लॉक के रामपुर हमजा में MNREGA कैटल शेड घोटाला! 24 शेड के नाम पर ₹24.68 लाख हड़पे, लेकिन ज़मीन पर एक भी नहीं। पंचायत सचिव-ग्राम प्रधान पर आरोप, ग्रामीणों की जांच मांग। #Hardoi #MNREGA #RampurHamja #UttarPradesh #GramPanchayat #UPNews pic.twitter.com/NMBMM6mip9
— Webvarta News Agency (@webvarta) September 19, 2025
घोटाले का पूरा विवरण: कागजों में शेड, ज़मीन पर कुछ नहीं
मनरेगा योजना के तहत रामपुर हमजा ग्राम पंचायत में 24 कैटल शेड बनाने का प्रावधान था। प्रत्येक शेड की लागत ₹1,02,851 रुपये आंकी गई, जो कुल ₹24,68,424 बनती है। लेकिन ग्रामीणों का दावा है कि पंचायत सचिव और ग्राम प्रधान ने मिलकर यह राशि हड़प ली। नाम न छापने की शर्त पर ग्रामीणों ने कहा, “कागजों में शेड बनाए गए, लेकिन वास्तविक निर्माण शून्य है।”
कागजों में जिन ग्रामीणों के नाम पर शेड दिखाए गए हैं, वे इस प्रकार हैं:
- मेहराम पुत्र रतीराम
- राधेश्याम पुत्र जय जय राम
- शिवनाथ पुत्र बैजनाथ
- जगदीश पुत्र पुत्तू
- राम नरेश सिंह पुत्र प्रहलाद सिंह
- विपिन पुत्र मुन्नू सिंह
- शारदा बकास सिंह पुत्र पुरुषोत्तम सिंह
- विजय पुत्र छोटे सिंह
- नीरज पुत्र राजाबकास सिंह
- जैराम पुत्र तिलक
- सत्यपाल पुत्र देवी
- शिवकरन पुत्र मुलायम
- श्याम सिंह पुत्र जोगराज
- संगीता पाल पुत्र मुकेश सिंह
- कृष्णानंद
- अवधेश कुमार/अवधेश सिंह पुत्र बैजनाथ सिंह
- रतीराम पुत्र गोकरन
- मंजू पुत्र तीरथराम
- राजेंद्र पुत्र मुन्ना
- रामभजन पुत्र तिलक
- रघुनाथ पुत्र तिलक
- रघुनाथ पुत्र बहादुर
- अर्जुन पुत्र गंगा बक्श
- दिनेश पाल सिंह पुत्र जोगराज
इन नामों पर शेड बनवाने का दावा किया गया, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि यह सब फर्जी है। पंचायत सचिव और प्रधान ने मिलकर धन का दुरुपयोग किया।
ग्रामीणों की मांग: उच्च स्तरीय जांच और सख्त कार्रवाई
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से अपील की है कि इस घोटाले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। वे कहते हैं, “अधिकारी गांधीजी के तीन बंदरों की तरह हैं—न सुनते हैं, न बोलते हैं, न कार्रवाई करते हैं।” जब अधिकारियों से फोन पर पूछा जाता है, तो जवाब मिलता है कि जांच होगी। लेकिन अब वे लिखित शिकायतें मांग रहे हैं, जो जांच की नीयत पर सवाल उठाता है।
यह मामला हरदोई जिले में मनरेगा योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करता है, जहां कागजी कार्यवाही से लाखों का खेल हो रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल ट्रैकिंग और ग्रामीण भागीदारी बढ़ाने से ऐसे घोटाले रोके जा सकते हैं।
Pradhan ke khilaf kaarvayi honi chahie