हरदोई, लक्ष्मी कान्त पाठक (वेब वार्ता)। जिले के खेत इस समय हरे-भरे होने चाहिए थे और किसानों को फसल की चिंता होनी चाहिए, लेकिन आज उनकी सबसे बड़ी चिंता खाद की एक बोरी पाना है। प्रशासन के ‘सब ठीक है’ के दावों और जमीनी हकीकत के बीच एक गहरी खाई नजर आ रही है, जहाँ किसान घंटों लाइन में लगने के बाद भी खाली हाथ लौट रहे हैं।
इसी विसंगति की जांच के लिए सहकारिता विभाग के प्रमुख सचिव सौरभ बाबू मंगलवार को जिले में पहुंचे। उन्होंने अधिकारियों के साथ बैठक की और गोदामों का निरीक्षण किया। निरीक्षण के बाद उनका दावा था—“खाद पर्याप्त है, किसी को दिक़्क़त नहीं।”
लेकिन जमीन पर तस्वीर बिल्कुल उलट है।
किसानों की जद्दोजहद: धूप, लाइन और निराशा
खाद वितरण केंद्रों के बाहर का नजारा चिंताजनक है। सुबह से ही किसानों की लंबी कतारें लगनी शुरू हो जाती हैं। कोई खाट लेकर आता है, तो कोई पानी की बोतल। कई महिलाएं अपने छोटे बच्चों के साथ घंटों इंतजार करती नजर आती हैं। इसके बावजूद, अधिकतर किसानों को निराशा हाथ लगती है।
एक किसान ने गुस्से में पूछा, “साहब लोग कह रहे हैं खाद भरपूर है, तो फिर हमारी बोरी कहाँ है? लाइन में लगकर क्या हम तमाशा कर रहे हैं?”
हालात इतने तनावपूर्ण हैं कि कहीं-कहीं धक्का-मुक्की की स्थिति बन गई, तो किसानों को अपना हक मांगने के लिए सड़क जाम तक करना पड़ा।
दावा बनाम हकीकत: प्रशासन क्या कहता है?
प्रशासनिक फाइलों में सब कुछ ठीक दिखाई देता है। जिलाधिकारी का कहना है कि “जनपद में पर्याप्त खाद उपलब्ध है, किसानों को कतई परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। जहां भीड़ अधिक है, वहां अतिरिक्त ट्रकों की आपूर्ति कराई जा रही है।”
इसी तरह, जिला कृषि अधिकारी ने बताया, “किसानों को उनकी पर्ची के आधार पर खाद दी जा रही है। कहीं कमी नहीं है, लेकिन कुछ जगहों पर मांग अचानक बढ़ने से असुविधा हुई है, जिसे दूर करने की कोशिश चल रही है।”
बड़ा सवाल: आखिर खाद जा कहाँ रही है?
किसानों और विपक्षी नेताओं का सीधा आरोप है कि खाद की किल्लत कृत्रिम रूप से पैदा की जा रही है। उनका मानना है कि यह स्टॉक या तो खुले बाजार में ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है या फिर वितरण तंत्र में अधिकारियों और विक्रेताओं की मिलीभगत से उसे डायवर्ट किया जा रहा है।
किसानों की मांग है कि खाद वितरण में पारदर्शिता लाई जाए, हर ट्रक की ऑनलाइन ट्रैकिंग हो और दोषी अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की जाए। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर हालात नहीं सुधरे, तो वे बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
विपक्ष ने उठाए सवाल
इस मुद्दे पर विपक्षी दलों ने प्रशासन पर जोरदार हमला बोला है।
कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष आशीष सिंह ने कहा, “प्रशासन किसानों की आँखों में धूल झोंक रहा है। खाद उपलब्ध बताकर हकीकत छुपाई जा रही है।”
सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष जितेंद्र वर्मा ‘जीतू’ ने आरोप लगाया, “किसानों की परेशानी को छिपाकर अफसर अपनी कुर्सी बचा रहे हैं। ज़मीन पर संकट है और रिपोर्ट में सब कुछ बेहतर दिखाया जा रहा है।”
हरदोई में खाद घोटाला? सपा नेता का बड़ा आरोप!
सपा नेता जितेंद्र वर्मा ‘जीतू’ का कहना है कि अधिकारी किसानों की वास्तविक परेशानी को छिपाकर सिर्फ अपनी कुर्सी बचाने में लगे हैं।
“ज़मीन पर संकट है, लेकिन रिपोर्ट में सब कुछ बेहतर दिखाया जा रहा है। यह झूठ कब तक?”#Hardoi #UPPolitics pic.twitter.com/hsBvxX7ZaA— Webvarta News Agency (@webvarta) August 27, 2025
स्पष्ट है कि जब तक किसानों को उनका हक नहीं मिलता, यह संकट और इससे जुड़ा राजनीतिक तनाव बना रहेगा।