हरदोई, लक्ष्मीकान्त पाठक (वेब वार्ता)। हरदोई के सुभाष चन्द्र बोस स्नातकोत्तर महाविद्यालय, कहली तेरवा गौसगंज में हिन्दी दिवस के अवसर पर माँ सरस्वती की वंदना और दीप प्रज्ज्वलन के साथ एक भव्य और प्रेरणादायक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सुभाष शैक्षिक समूह के अध्यक्ष एवं विधान परिषद सदस्य अवनीश कुमार सिंह की प्रेरणा और महाविद्यालय के निदेशक अविनाश कुमार पाल के मार्गदर्शन में यह समारोह हिन्दी भाषा की महत्ता को समर्पित रहा। पूरे परिसर में हिन्दीमय वातावरण बना, जिसमें छात्र-छात्राओं, शिक्षकों और कर्मचारियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
हिन्दी: राष्ट्रीय अस्मिता और सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक
कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती की वंदना और दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई, जो ज्ञान और बुद्धि की देवी को समर्पित थी। निदेशक अविनाश कुमार पाल ने अपने संबोधन में हिन्दी को केवल संप्रेषण का माध्यम नहीं, बल्कि भारत की राष्ट्रीय अस्मिता और सांस्कृतिक चेतना का प्राणतत्व बताया। उन्होंने जोर देकर कहा कि हिन्दी को केवल साहित्य तक सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि इसे विज्ञान, प्रौद्योगिकी और शोध के क्षेत्र में भी अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे हिन्दी को गर्व के साथ अपनाएं और इसे वैश्विक मंचों पर ले जाएं।
मातृभाषा हिन्दी में आत्मविश्वास और रचनात्मकता की प्रेरणा
सहायक प्रबंधक सहस्त्रांश सिंह ने अपने उद्बोधन में विद्यार्थियों को मातृभाषा के महत्व को समझाते हुए कहा कि हिन्दी आत्मविश्वास, रचनात्मकता और विचारों की प्रखरता का आधार है। उन्होंने छात्र-छात्राओं से निबंध लेखन, वाद-विवाद और अन्य रचनात्मक गतिविधियों में हिन्दी को प्राथमिकता देने का आग्रह किया। उनके शब्दों ने युवाओं में हिन्दी के प्रति गर्व और उत्साह जगाया।
हिन्दी: राष्ट्रीय एकता का सेतु
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. डी.एन. सक्सेना ने अपने संबोधन में हिन्दी को विभिन्न प्रांतों और बोलियों को जोड़ने वाला सेतु बताया। उन्होंने कहा कि हिन्दी न केवल एक भाषा है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और सामाजिक एकता को मजबूत करने का सशक्त माध्यम है। वरिष्ठ शिक्षक डॉ. शरद शुक्ल ने विद्यार्थियों को मातृभाषा में चिंतन और सृजन की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि हिन्दी में विचार करने और लिखने से विचारों में स्पष्टता और आत्मीयता आती है, जो व्यक्तित्व को निखारती है।
छात्र-छात्राओं का उत्साह: कविता, भाषण और सुलेख में हिन्दी की महिमा
हिन्दी दिवस के इस आयोजन में छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। ओजस्वी भाषणों, भावपूर्ण कविताओं और सुलेख लेखन प्रतियोगिताओं के माध्यम से उन्होंने हिन्दी की समृद्धि और सुंदरता को प्रदर्शित किया। इन गतिविधियों में विद्यार्थियों ने न केवल अपनी प्रतिभा दिखाई, बल्कि मातृभाषा के संरक्षण और संवर्धन का संकल्प भी लिया। प्रतियोगिताओं में विजयी छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत किया गया, जिससे उनका उत्साह और बढ़ा।
हिन्दीमय वातावरण में गूँजा परिसर
कार्यक्रम में महाविद्यालय के सभी विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे। पूरा परिसर हिन्दी की मधुर ध्वनियों और उत्साहपूर्ण माहौल से गूँज उठा। यह आयोजन न केवल हिन्दी भाषा के प्रति प्रेम को बढ़ाने वाला था, बल्कि युवा पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने का एक सशक्त प्रयास भी साबित हुआ।
हिन्दी दिवस का महत्व: एकता और प्रगति का प्रतीक
हिन्दी दिवस, जो हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है, भारत की राजभाषा हिन्दी के महत्व को रेखांकित करता है। 1949 में संविधान सभा ने हिन्दी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था, और तब से यह दिन हिन्दी के गौरव को समर्पित है। यह आयोजन हमें याद दिलाता है कि हिन्दी न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर है, बल्कि यह आधुनिक भारत की प्रगति और एकता का प्रतीक भी है।
सुभाष चन्द्र बोस स्नातकोत्तर महाविद्यालय का यह आयोजन हिन्दी के प्रति नई पीढ़ी में जागरूकता और गर्व पैदा करने में महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। इस तरह के आयोजन भविष्य में भी हिन्दी को और अधिक समृद्ध और प्रासंगिक बनाने में मदद करेंगे।