हरदोई, लक्ष्मीकांत पाठक (वेब वार्ता)। उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के पाली थाना क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़ा एक भ्रामक और आपत्तिजनक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने का मामला सामने आया है। शिकायतकर्ता अखिलेश कुमार शुक्ला ने तहरीर दी, जिसमें फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर कुछ अज्ञात आईडी से वीडियो प्रसारित करने का आरोप लगाया गया। वीडियो में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को संसद में PM मोदी का गिरेबान पकड़कर गिराने का फर्जी दृश्य दिखाया गया है, साथ ही PM के खिलाफ आपत्तिजनक बातें फैलाई जा रही हैं। पुलिस ने FIR दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
यह घटना सोशल मीडिया पर फेक न्यूज और भ्रामक कंटेंट के बढ़ते खतरे को उजागर करती है, जो समाज में नफरत और अशांति फैला सकता है। पाली थाने ने तुरंत कार्रवाई की, और दोषियों को चिह्नित करने के प्रयास तेज हैं।
वीडियो का विवरण: फर्जी दृश्य से नफरत भड़काने का आरोप
शिकायतकर्ता अखिलेश कुमार शुक्ला (निवासी ग्राम परेली) ने बताया कि वीडियो में राहुल गांधी को PM मोदी का गिरेबान पकड़कर गिराने का भ्रामक दृश्य दिखाया गया है। यह संसद के वास्तविक दृश्यों से छेड़छाड़ कर बनाया गया लगता है। वीडियो में PM के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां भी हैं, जो समाज में नफरत फैलाने और शांति व्यवस्था बिगाड़ने का प्रयास हैं।
शुक्ला ने कहा, “इससे मुझे गहरा मानसिक कष्ट हुआ। यह PM की छवि खराब करने और सामाजिक सौहार्द तोड़ने की साजिश है।” वीडियो फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर वायरल हो रहा था, जिसकी शिकायत पर पुलिस हरकत में आ गई।
पुलिस कार्रवाई: FIR दर्ज, जांच तेज
पाली थाने ने FIR संख्या 0411/2025 दर्ज की। मामला भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा 353(1) (सार्वजनिक शांति भंग करने का इरादा) और 356(2) (झूठी सूचना फैलाना) के तहत पंजीकृत है। प्रभारी निरीक्षक ने कहा, “वीडियो और संबंधित अकाउंट्स की जांच चल रही है। IP ट्रैकिंग और साइबर फॉरेंसिक से आरोपियों की पहचान होगी। दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।”
पुलिस ने PMO और साइबर सेल से भी सहयोग मांगा है। SO ने अपील की, “फेक वीडियो शेयर न करें। संदिग्ध कंटेंट की सूचना दें।”
सोशल मीडिया पर फेक न्यूज का खतरा: बढ़ते मामले
भारत में फेक न्यूज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। NCRB 2024 के अनुसार, UP में 1,500+ फेक न्यूज केस दर्ज हुए, जिनमें 40% राजनीतिक। PM मोदी से जुड़े फर्जी वीडियो पहले भी वायरल हुए हैं, जैसे 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान। विशेषज्ञ कहते हैं, AI से बने डीपफेक वीडियो नफरत फैलाने का हथियार बन रहे हैं।
IT एक्ट 2000 की धारा 66A (अब रद्द) के बाद BNS ने नई सख्तियां लाई हैं। पुलिस ने जनता से अपील की कि वीडियो शेयर करने से पहले वेरिफाई करें।
यह मामला हरदोई में सोशल मीडिया की जिम्मेदारी पर बहस छेड़ रहा है।