हरदोई, लक्ष्मीकांत पाठक (वेब वार्ता)। उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में श्री डाल सिंह मेमोरियल पब्लिक स्कूल के छात्रों ने हाल ही में आयोजित एक कला प्रतियोगिता में अपनी रचनात्मक प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन किया। प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य बच्चों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाना और उनके रचनात्मक कौशल को निखारना था। छात्रों ने उंगलियों से मछलियों, जलपक्षियों, समुद्री पौधों और अन्य जलजीवों के रंग-बिरंगे चित्र बनाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी कला ने जलसंसाधनों के संरक्षण और जलजीवों के महत्व को रचनात्मक ढंग से उजागर किया।
यह आयोजन न केवल बच्चों की कलात्मक क्षमता को सामने लाया, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और जल सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर संवाद की शुरुआत भी की। विद्यालय प्रशासन और शिक्षिकाओं ने इस पहल की सराहना की और इसे समाज के लिए प्रेरणादायक बताया।
प्रतियोगिता का विवरण: जलजीवों की जीवंतता और पर्यावरण संदेश
प्रतियोगिता में छात्रों ने फिंगर पेंटिंग तकनीक का उपयोग कर जलजीवों के चित्र बनाए। मछलियों, जलपक्षियों और समुद्री पौधों की उनकी रंग-बिरंगी कलाकृतियों ने दर्शकों का ध्यान खींचा। प्रत्येक पेंटिंग में जलजीवों की जीवंतता और रंगों की गहराई ने पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाया।
छात्रों ने अपनी कला के माध्यम से जल संरक्षण और जलजीवों की सुरक्षा का संदेश दिया। उनकी पेंटिंग्स ने नदियों, तालाबों और समुद्रों के पारिस्थितिकी तंत्र के महत्व को रचनात्मक रूप से प्रस्तुत किया। कुछ चित्रों में प्रदूषण और जल संसाधनों के दुरुपयोग को दर्शाया गया, जो दर्शकों के लिए विचारणीय था।
शिक्षिकाओं की सराहना: रचनात्मकता और सामाजिक जिम्मेदारी को प्रोत्साहन
विद्यालय की शिक्षिकाओं—अर्पिता सिंह, कविता गुप्ता, आरती वर्मा, सोनी तिवारी, मंशा वाजपेई, प्रज्ञा त्रिवेदी, सोनम शुक्ला, कोमल यादव और परी गुप्ता—ने छात्रों की रचनात्मकता की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा, “यह प्रतियोगिता बच्चों की कला को निखारने का एक शानदार मंच है। साथ ही, यह उन्हें पर्यावरण और सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति जागरूक करती है।” शिक्षिकाओं ने बच्चों को भविष्य में ऐसी प्रतियोगिताओं में भाग लेने और कला के माध्यम से सामाजिक संदेश फैलाने के लिए प्रोत्साहित किया।
विद्यालय प्रशासन का दृष्टिकोण: पर्यावरण जागरूकता का मंच
विद्यालय प्रशासन ने इस आयोजन को पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। प्रशासन के एक प्रवक्ता ने कहा, “छात्रों के माध्यम से जलजीवों और जलसंसाधनों के संरक्षण का संदेश समाज तक पहुंचाना गर्व की बात है। यह आयोजन बच्चों में रचनात्मकता और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना को बढ़ाता है।”
प्रशासन ने भविष्य में ऐसी और प्रतियोगिताएं आयोजित करने का वादा किया, ताकि बच्चे पर्यावरणीय मुद्दों पर जागरूक हों और अपनी प्रतिभा को निखार सकें।
जल संरक्षण और कला का महत्व: सामाजिक प्रभाव
यह प्रतियोगिता उत्तर प्रदेश जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यावरण जागरूकता के लिए एक मिसाल है। भारत में जल संसाधनों पर बढ़ता दबाव (CWC के अनुसार 20% नदियां प्रदूषित) और जलजीवों की घटती प्रजातियां चिंता का विषय हैं। बच्चों की कला ने न केवल सौंदर्य प्रस्तुत किया, बल्कि जल संरक्षण की आवश्यकता को भी रेखांकित किया।
ऐसे आयोजन स्कूलों में पर्यावरण शिक्षा को बढ़ावा देने का एक प्रभावी माध्यम हैं।