कछौना/हरदोई, लक्ष्मीकांत पाठक (वेब वार्ता)। उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के कछौना कोतवाली स्थित बाल मित्र केंद्र पर अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस के अवसर पर शनिवार को “चुप्पी तोड़ – हल्ला बोल” परियोजना के अंतर्गत एक विचार-विमर्श कार्यक्रम आयोजित किया गया। ‘समाधान अभियान’ और ‘इंडिया पेस्टिसाइड्स लिमिटेड’ के संयुक्त तत्वावधान में हुआ यह आयोजन बच्चों के अधिकारों और सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने पर केंद्रित था। क्षेत्र की आशा कार्यकर्ताओं ने सक्रिय भागीदारी निभाई, जिन्हें POCSO एक्ट, बच्चों की सुरक्षा और अधिकारों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान की गईं।
यह कार्यक्रम ग्रामीण स्तर पर बाल यौन शोषण रोकने और बच्चों को सुरक्षित माहौल देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। समाधान अभियान के प्रयासों से हर महीने 35,000 से अधिक बच्चों को POCSO जागरूकता प्रशिक्षण मिल रहा है, जो समाज को सशक्त बना रहा है।
कार्यक्रम का उद्देश्य: बच्चों की सुरक्षा और अधिकारों पर जागरूकता
“चुप्पी तोड़ – हल्ला बोल” परियोजना बाल यौन शोषण से बचाव और बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए चलाई जा रही है। इस कार्यक्रम में आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया गया, ताकि वे गांव-गांव इस संदेश को पहुंचा सकें। बाल मित्र केंद्र समन्वयक मृदुल अवस्थी ने आशा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, “बच्चों की सुरक्षा सामूहिक प्रयासों से ही संभव है। POCSO एक्ट की जानकारी हर व्यक्ति तक पहुंचानी होगी।”
कार्यक्रम में POCSO एक्ट के मुख्य बिंदु, बच्चों के अधिकार, शोषण की पहचान और त्वरित कार्रवाई जैसे विषयों पर चर्चा हुई। आशा कार्यकर्ताओं को गांव स्तर पर जागरूकता कैंप लगाने के लिए प्रेरित किया गया।
आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका: गांव-गांव संदेश पहुंचाने का माध्यम
आशा कार्यकर्ताएं ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य और सामाजिक जागरूकता का प्रमुख माध्यम हैं। इस कार्यक्रम में उन्हें बच्चों की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर विशेष प्रशिक्षण दिया गया। कार्यकर्ताओं ने कहा, “हम अपने गांवों में इस अभियान को चलाएंगे, ताकि कोई बच्चा शोषण का शिकार न हो।” समाधान अभियान और इंडिया पेस्टिसाइड्स की यह साझेदारी हरदोई, शाहजहांपुर और गोरखपुर जैसे जिलों में POCSO वर्कशॉप्स आयोजित कर रही है।
कार्यक्रम का प्रभाव: सुरक्षित भविष्य की दिशा
ऐसे अभियान न केवल बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं, बल्कि समाज को एक बेहतर भविष्य की ओर ले जाते हैं। NCRB के अनुसार, UP में POCSO मामलों में 20% वृद्धि हुई है, लेकिन जागरूकता से रोकथाम संभव है। समाधान अभियान के प्रयासों से हजारों बच्चों को लाभ पहुंचा है।