लक्ष्मीकान्त पाठक
हरदोई (वेबवार्ता)सनातन धर्म को मजबूत करने के चहुंओर हो रहे शोर के बीच चीन जैसे चालबाज प्रतिद्वंद्वी के आविष्कार को धार्मिक रुप में मान्यता देना कितना उचित है।यह सवाल सनातन के पोषकों से पूछा ही जाना चाहिए। चीन में ईजाद हुई पतंगबाजी को भारत में कैसे धार्मिक रुप देकर मकरसंक्रांति व बसंत पंचमी को व्यापक रूप से पतंग उड़ानें का उपक्रम किया जाता है। इसका बहिष्कार नहीं किया जाना चाहिए। सनातन के पोषक पतंगबाजी के शौकीन लोगों को यह भी पता होना चाहिए कि पतंगवाजी भारत का कभी हिस्सा ही नहीं रही है।पतंग का आविष्कार ईसा पूर्व तीसरी सदी में चीन में हुआ था। दुनिया की पहली पतंग चीनी दार्शनिक हुआंग थेन ने बनाई थी। और भारत में चीनी यात्री फाहेन व ह्युनटीसांग लेकर आये थे।उस समय पतंग सूत की डोरी के सहारे उड़ाई जाती थी। लेकिन समय के साथ तकनीक बदली तो पतंगबाजी के लिए चीन ने चाइनीज मांझा बनाना शुरू किया। चाईनीज मांझा नायलान के धागे में मेटोलिक पाउडर मिलाकर बनाया जाता है।जो बहुत ही मजबूत होता है।इस धागे के सहारे पतंग बहुत ऊपर तक उड़ जाती है।और जल्दी कटती नहीं है। इसी मजबूत डोरी के सहारे पतंगवाजी के शौकीन लोगों को इस बात का ध्यान ही नहीं है कि यह पतली सी डोरी लोगों की जिंदगी निगलती जा रही है। कमोवेश यह घटनाएं पूरे उत्तर प्रदेश में घट रही है लेकिन हरदोई
जिले के शाहाबाद नगर में एक साल में दर्जनों लोग घायल हुए हैं।इसमें से कई लोगों की जान चली गयी। लेकिन प्रतिबंधित चाईनीज मांझे पर अंकुश लगाने के लिए सरकारी व्यवस्था नाकाफी साबित हो रही है। पुलिस प्रशासन के अलावा नगर पालिका प्रशासन,आम जनमानस, व्यापार मण्डल समेत तमाम समाजसेवी संस्था ये भी कम जिम्मेदार नहीं हैं।अभी हाल ही में पड़ोसी जनपद शाहजहांपुर में एक पुलिसकर्मी की चाईनीज मांझा में उलझे कर गर्दन काट जाने से उसकी दर्दनाक मौत हो गयी जिसको लेकर लोगों में गुस्सा देखा गया।घटना को लेकर जहां पुलिस भी हरकत में दिखाई दी। शाहाबाद थाने के कोतवाल ने भी पतंग दुकानदारों को चाइनीज मांझा न बेचने की हिदायत दी बल्कि शाहाबाद व्यापर मण्डल के महामंत्री संजू बांगा ने चाइनीज मांझा बेचने वाले की जानकारी देने वाले व्यक्ति को 11हजार रूपए इनामी देने की घोषणा कर दी। लेकिन नतीजा वही फिर ढांक के तीन पात की कहावत चरितार्थ करता दिखाई दिया।अभी गत सप्ताह ही आदमपुर निवासी सत्यपाल मोटरसाइकिल से अल्लापुर में अपने भतीजे से मिलने जा रहा था। नवीन गल्ला मंडी के सामने अचानक चाइनीज मांझा उसके गले में फस गया जिससे वह बुरी तरह ज़ख़्मी हो गया।जब वह कोतवाली शाहाबाद में शिकायत लेकर गया तो पुलिस ने उससे पतंग उड़ानें वाले की जानकारी देने के लिए कहकर टाल दिया।ऐसे यह सवाल उठना लाजिमी है कि प्रतिबंधित चाईनीज मांझा आखिर बिकता कहां है। क्या कोतवाली पुलिस को इसकी जानकारी नहीं है। आखिर नगर में यह बिकने कहां से आता है। इसके साथ ही व्यापार मण्डल पर भी सवाल उठना लाजिमी है कि बाजार में पतंगबाजी की दुकान कितनी है।पूरे नगर में व्यापार से जुड़े लोग रहते हैं ऐसे में पतंग की दुकानों का ब्योरा उनके पास नहीं है।जो उन्हें इनाम घोषित करना पड़ रहा है।इसी के साथ पुलिस की जिम्मेदारी ही है कि कोई प्रतिबंधित चीज जो मानव जीवन के लिए घातक है उसकी बिक्री व स्टोरेज पर प्रतिबंध भी लगा है उस पर तत्परता से रोक लगाये। लेकिन पुलिस जिसकी तैनाती चप्पे-चप्पे पर की जाती है।ऐसी स्थिति में चाइनीज मांझा कैसे दुकानों में आ जाता है और बिक्री होता है।यह अपने आप में एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है।ऐसी स्थिति में कर्तव्य परायण खाकी आखिर किस दबाव में आकर चाइनीज मांझा की बिक्री पर रोक लगाने में अक्षम प्रतीत हो रही है।
दुर्घटनाओ का संज्ञान लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने लगा रखा है प्रतिबंध
पतंग उड़ानें में प्रयुक्त होने वाले चाइनीज मांझा से पशु पक्षी व मानव के दुर्घटना के शिकार होने की घटनाओं का संज्ञान लेकर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने सन् 2017को भारत में चाइनीज मांझा की बिक्री, स्टोरेज पर तत्कालीन प्रभाव से प्रतिबंध लगा रखा है।
भारत में पतंगबाजी पर है कानूनन रोक
भारत में विमानन अधिनियम 1934की धारा 11 के तहत पतंगबाजी करना अपराध घोषित किया गया है। बिना अनुमति पतंग उड़ानें पर 2साल की जेल व 10लाख तक जुर्माना लगाया जा सकता है। पतंगबाजी करनें के लिए अनुमति लेना जरूरी है।एक निर्धारित ऊंचाई तक ही पतंग उड़ानें की अनुमति दी जाती है।