लखनऊ, अजय कुमार (वेब वार्ता)। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में बड़ा फेरबदल किया है। उन्होंने अपने रिश्तेदार और पूर्व राज्यसभा सांसद अशोक सिद्धार्थ को पार्टी में वापस लाने के बाद छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और गुजरात के केंद्रीय कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी सौंपी है। यह कदम पार्टी को संगठनात्मक रूप से मजबूत करने और आगामी चुनावों की तैयारी के लिए उठाया गया है। मायावती ने देश को छह सेक्टरों में विभाजित करने का निर्णय लिया है, जिसके तहत कई अन्य महत्वपूर्ण बदलाव भी किए गए हैं।
अशोक सिद्धार्थ की वापसी: परिवारिक रिश्तों और पार्टी अनुशासन का संतुलन
अशोक सिद्धार्थ, जो मायावती के भतीजे और पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक आकाश आनंद के ससुर हैं, को कुछ महीने पहले पार्टी से निष्कासित किया गया था। आरोप था कि उन्होंने गुटबाजी को बढ़ावा दिया और पार्टी अनुशासन का उल्लंघन किया। लेकिन सिद्धार्थ की सार्वजनिक माफी और वफादारी की आश्वासन के बाद मायावती ने उन्हें पार्टी में पुनः शामिल किया। सिद्धार्थ को अब सेक्टर-3 का केंद्रीय कोऑर्डिनेटर बनाया गया है, जो पहले रणधीर सिंह बेनीवाल के पास था। उनकी मुख्य जिम्मेदारी इन चार राज्यों में बसपा को मजबूत करना और संगठन को विस्तार देना होगा।
मायावती ने कहा कि यह फेरबदल पार्टी को नई ऊर्जा देगा और बहुजन समाज को सशक्त बनाने में मदद करेगा। सिद्धार्थ की नियुक्ति को आकाश आनंद की इच्छा से जोड़ा जा रहा है, जो पार्टी के दूसरे सबसे प्रभावशाली पद पर हैं।
देश को छह सेक्टरों में विभाजन: संगठनात्मक मजबूती का नया कदम
पार्टी को संगठनात्मक रूप से मजबूत करने के लिए मायावती ने देश को छह सेक्टरों में बांट दिया है। प्रत्येक सेक्टर में 3-4 राज्य शामिल होंगे, जिससे पार्टी की पहुंच और कार्यक्षमता बढ़ेगी। इस विभाजन के तहत किए गए प्रमुख बदलाव निम्नलिखित हैं:
- रणधीर सिंह बेनीवाल: पहले ये चार राज्य (छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, गुजरात) उनके पास थे, अब उन्हें सेक्टर-4 की जिम्मेदारी दी गई है।
- डॉ. लालजी वर्मा (नोट: मूल में मेधांकर, लेकिन स्रोतों से वर्मा प्रतीत): सेक्टर-4 से हटाकर सेक्टर-5 का कोऑर्डिनेटर बनाया गया।
- अतर सिंह राव: पूर्व विधायक को सेक्टर-6 की जिम्मेदारी सौंपी गई।
- रामजी गौतम: सेक्टर-1 के पूर्व सांसद अपने पद पर बने रहेंगे।
- राजाराम: सेक्टर-2 के पूर्व सांसद भी अपनी जिम्मेदारी पर बरकरार।
ये बदलाव पार्टी के राष्ट्रीय स्तर पर संचालन को अधिक कुशल बनाने के उद्देश्य से किए गए हैं। मायावती ने स्पष्ट किया कि ये सेक्टर पार्टी की पहुंच को ग्रामीण और शहरी दोनों स्तरों पर मजबूत करेंगे।
आकाश आनंद को समीक्षा का दायित्व: युवा नेतृत्व की वापसी
पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक आकाश आनंद को सभी केंद्रीय कोऑर्डिनेटरों के कार्यों की समीक्षा करने का महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा गया है। आकाश, जो कुछ महीने पहले निष्कासित होने के बाद पुनः बहाल हुए थे, अब पार्टी के संगठन को नई दिशा देने में अहम भूमिका निभाएंगे। मायावती ने आकाश को पार्टी का उत्तराधिकारी घोषित किया था, लेकिन आंतरिक कलह के कारण उन्हें हटाया गया था। अब उनकी वापसी से बसपा में युवा ऊर्जा का संचार होने की उम्मीद है।
बसपा का फेरबदल: चुनावी रणनीति का हिस्सा
यह फेरबदल बसपा के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। पार्टी हाल के लोकसभा चुनावों में एक भी सीट नहीं जीत सकी थी, और उत्तर प्रदेश विधानसभा में भी उसका प्रदर्शन कमजोर रहा। मायावती का यह कदम आगामी पंचायत चुनावों और अन्य राज्यों में बसपा को पुनर्जीवित करने की रणनीति का हिस्सा लगता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अशोक सिद्धार्थ जैसे अनुभवी नेताओं की वापसी से दलित वोट बैंक को मजबूत करने में मदद मिलेगी।
मायावती ने लखनऊ में 9 अक्टूबर को एक विशाल रैली का आयोजन भी किया है, जो नौ वर्षों बाद होगी। यह रैली फेरबदल के बाद पार्टी की ताकत दिखाने का माध्यम बनेगी।
बसपा का यह नया संगठनात्मक ढांचा पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। क्या यह बदलाव बसपा को फिर से सत्ता की दौड़ में ला पाएंगे? समय ही बताएगा।