-समाधि मुद्रा में मिले कंकाल से अभी कई रहस्यों से पर्दा उठना बाकी
मेहसाणा, (वेब वार्ता)। मेहसाणा जिले की ऐतिहासिक नगरी वडनगर में वर्ष 2019 में मिले कंकाल के संबंध में बड़ा खुलासा हुआ है। योग मुद्रा में मिले कंकाल को एक हजार साल पुराना बताया गया है। कंकाल की डीएनए रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। निकट भविष्य में इस कंकाल के संबंध में और भी चौंकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं।
जानकारी के अनुसार वडनगर में भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) के उत्खनन के दौरान वर्ष 2019 में एक योग मुद्रा में कंकाल मिला था। प्राथमिक अनुमान में इसे 1000 साल पुराना बताया गया था। बाद में लखनऊ के बीरबल साहनी इंस्टिट्यूट ऑफ ऑर्किलॉजी में डॉक्टर नीरज राय गुप्ता ने इसका डीएनए जांच की थी। डीएनए टेस्ट के लिए कंकाल के दांत, कान की हड्डी के सैम्पल लिए गए थे। इस टेस्ट में इस कंकाल के 1000 साल पुराना होने की पुष्टि हुई है। अब कंकाल के संबंध में अन्य वैज्ञानिक परीक्षण भी शुरू किया गया है, इसकी रिपोर्ट में प्राचीन नगरी वडनगर के संबंध में और भी महत्व के खुलासे हो सकते हैं।
एएसआई के अनुसार प्राथमिक अनुमान में इस कंकाल वाले जगह पर पहले बौद्ध योग साधना केन्द्र हो सकता है। उस काल में भारत के विभिन्न राज्यों के अलावा मध्य एशिया से लोग यहां आते होंगे। योग मुद्रा में मिला कंकाल इस बात का समर्थन करता है। कंकाल की कार्बन डेटिंग समेत अन्य प्रशिक्षण का काम अभी जारी है।
कंकाल के संबंध में एक अनुमान यह भी लगाया जा रहा है कि इस व्यक्ति ने अपनी मर्जी से मृत्यु स्वीकारी हो। कंकाल को अभी तक म्यूजियम में स्थान नहीं मिला है। कंकाल के संबंध में जारी शोध वडनगर के प्राचीन इतिहास और आध्यात्मिक परंपरा पर प्रकाश डालता है।
जानकारी के अनुसार वडनगर के शर्मिष्ठा तालाब के निकट वर्ष 2017 के दौरान खुदाई में भी 11 कंकाल मिले थे। इनमें 7 कंकाल का डीएनए परीक्षण कराया गया था। इनमें एक कंकाल कजाकिस्तान के नागरिक के होने का पता चला था। भारत के डीएनए ग्रुप के साथ उसका मेल नहीं हुआ था। कंकाल यू2ई ग्रुप का यानी युरोप और मध्य एशिया के देशों के निवासियों के साथ मेल खाने वाला साबित हुआ था।
भारत के डीएनए ग्रुप की बात करें तो यहां एम18, एम30और एम37 डीएनए ग्रुप है। इसके आधार पर यह माना जा रहा है कि वडनगर में 16वीं से 17वीं सदी के दौरान विभिन्न धर्मों के लोग रहते थे। व्यापार और धार्मिक कारणों से विदेशियों के यहां निवास की संभावना मानी जा रही है।
वडनगर का 2700 साल पुराना इतिहास बताया जाता है। एएसआई के वर्ष 2014 से 2022 तक की लगातार खुदाई से वडनगर में दूसरी सदी से पूर्व से अभी तक की सात संस्कृतियों का अटूट क्रम प्रकाश में आया है। खुदाई के दौरान जमीन से करीब 25 फीट ऊंचा बुर्ज मिला था। अमरथोल दरवाजा के समीप खुदाई के दौरान यह बुर्ज मिला था। दरवाजे के आसपास दूसरा बुर्ज और कोट भी मिला था। यह बुर्ज करीब 1000 से 1200 साल प्राचीन माना जा रहा है। वडनगर शहर के चारों ओर बने 6 दरवाजों के समीप यह बुर्ज और कोट दबा हुआ है। बुर्ज से सैनिक दुश्मनों पर नजर रखते होंगे। वहीं शहर की सुरक्षा के लिए कोट (परकोटा) बनाया गया होगा।
#WATCH | Lucknow, UP | Skeleton in ‘Samadhi’ posture found in Vadnagar, Gujarat. Investigation underway at Birbal Sahni Institute of Palaeosciences pic.twitter.com/soK02fOyMF
— ANI (@ANI) March 28, 2025