रांची, 24 जुलाई (वेब वार्ता)। झारखंड की राजधानी रांची स्थित सदर अस्पताल ने आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना के प्रभावी क्रियान्वयन में देशभर के जिला अस्पतालों के बीच पहला स्थान प्राप्त कर राज्य को गौरवान्वित किया है। यह उपलब्धि न केवल झारखंड के स्वास्थ्य क्षेत्र की सशक्त तस्वीर प्रस्तुत करती है, बल्कि यह संकेत भी देती है कि सरकारी अस्पताल भी बेहतर सेवा का उदाहरण बन सकते हैं।
राज्य के लिए गर्व का क्षण: स्वास्थ्य मंत्री
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि को “पूरे झारखंड की जीत” करार देते हुए कहा, “जब कोई चिकित्सक स्वास्थ्य मंत्री होता है, तो उसकी सोच और प्राथमिकताएं स्पष्ट होती हैं – बेहतर इलाज और गरीबों को सुलभ स्वास्थ्य सेवा। छह महीने के भीतर हमने जो बदलाव की कोशिश की, उसका नतीजा आज सबके सामने है।”
उन्होंने कहा कि रांची सदर अस्पताल अब केवल राज्य का ही नहीं, बल्कि पूरे देश का मॉडल बन गया है। उन्होंने अस्पताल के डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ और प्रशासन को उनकी मेहनत और प्रतिबद्धता के लिए बधाई दी। स्वास्थ्य मंत्री ने घोषणा की कि राज्य के अन्य जिलों के सदर अस्पतालों को भी इसी स्तर तक लाने के लिए प्रयास किए जाएंगे और उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले चिकित्सकों को सम्मानित किया जाएगा।
अस्पताल प्रबंधन का सराहनीय प्रयास
स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह ने बताया कि रांची सदर अस्पताल ने जिला अस्पतालों की श्रेणी में देश में पहला और मेडिकल कॉलेज व सरकारी संस्थानों की श्रेणी में चौथा स्थान प्राप्त किया है। उन्होंने इसे समर्पित चिकित्सा सेवा, बेहतर प्रबंधन और अस्पताल की कुशल प्रशासनिक व्यवस्था का परिणाम बताया।
अजय कुमार सिंह ने राज्य के अन्य अस्पतालों से रांची मॉडल को अपनाने की अपील करते हुए कहा कि “सकारात्मक सोच, तकनीकी सहयोग और टीमवर्क से किसी भी सरकारी अस्पताल को उत्कृष्ट बनाया जा सकता है।”
2 लाख से अधिक लोगों को मुफ्त इलाज
रांची सदर अस्पताल ने अब तक 2 लाख से अधिक आयुष्मान कार्डधारी मरीजों को निःशुल्क इलाज की सुविधा प्रदान की है। गंभीर बीमारियों, जटिल शल्य क्रियाओं और आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं तक मरीजों को बिना किसी आर्थिक बोझ के सेवा मिली है। अस्पताल में बीते वर्षों में सुपर स्पेशियलिटी सेवाओं को भी विस्तार मिला है, जिससे हृदय रोग, नेत्र रोग, अस्थि रोग, श्वसन रोग और डायलिसिस जैसी सेवाएं सुलभ हुई हैं।
स्वास्थ्य व्यवस्था में नया अध्याय
यह उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि यदि इच्छाशक्ति, नेतृत्व और कार्यकुशलता हो, तो सरकारी अस्पताल भी मरीजों की पहली पसंद बन सकते हैं। जहां एक ओर कई राज्यों में आयुष्मान योजना के क्रियान्वयन में सुस्ती देखी जाती है, वहीं रांची का सदर अस्पताल एक अनुकरणीय उदाहरण बनकर उभरा है।
निष्कर्ष
रांची सदर अस्पताल की यह उपलब्धि सिर्फ एक संस्थान की सफलता नहीं है, बल्कि यह झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था के पुनर्जागरण का प्रतीक है। यह संदेश भी है कि जनकल्याणकारी योजनाएं, जब प्रभावी ढंग से लागू की जाती हैं, तो वे वंचित तबकों के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती हैं। अब आवश्यकता है कि इस सफलता को मॉडल बनाकर राज्य के अन्य जिलों और देश के अन्य हिस्सों में भी स्वास्थ्य सेवाओं को इसी प्रकार जनोपयोगी और प्रभावशाली बनाया जाए।