कोप्पल, (वेब वार्ता)। मिलिए करोड़पति क्लर्क से, कर्नाटक ग्रामीण अवसंरचना विकास लिमिटेड (KRIDL) में कार्यरत एक पूर्व क्लर्क की संपत्ति ने सबको चौंका दिया, जब लोकायुक्त की छापेमारी में उसके पास करोड़ों की संपत्ति उजागर हुई। महज ₹15,000 मासिक वेतन पाने वाला यह पूर्व क्लर्क असल में करोड़पति निकला। छापेमारी के दौरान अधिकारियों को भारी मात्रा में सोना, चांदी, दर्जनों मकान और गाड़ियां बरामद हुईं।
🔎 छापेमारी के प्रमुख तथ्य:
✅ आरोपी का नाम: कलाकप्पा निदागुंडी
✅ पद: पूर्व क्लर्क, KRIDL
✅ मासिक वेतन: ₹15,000
✅ बरामद संपत्ति: ₹30 करोड़ से अधिक
✅ बरामद मकान: 24
✅ प्लॉट: 4
✅ कृषि भूमि: 40 एकड़
✅ सोना: 350 ग्राम
✅ चांदी: 1.5 किलोग्राम
✅ वाहन: 2 कार, 2 दोपहिया वाहन
🧾 फर्जी बिलों से बनाई गई काली कमाई
लोकायुक्त को मिली शिकायत के अनुसार, कलाकप्पा निदागुंडी और केआरआईडीएल के पूर्व इंजीनियर जेड.एम. चिंचोलकर ने मिलकर करीब 96 सरकारी परियोजनाओं में फर्जी दस्तावेज बनाकर 72 करोड़ रुपए से अधिक की हेराफेरी की। ये परियोजनाएं ज़मीनी स्तर पर कभी अस्तित्व में ही नहीं आईं।
अधिकारियों का कहना है कि यह संपत्ति आरोपी के नाम के अलावा पत्नी और भाई के नाम पर भी रजिस्टर्ड है, जो मनी लॉन्ड्रिंग और बेनामी संपत्ति के तहत गंभीर मामला बनता है।
🏠 करोड़पति क्लर्क के ठिकानों पर छापा
लोकायुक्त ने अदालत से विशेष आदेश लेकर कोप्पल जिले के कलाकप्पा निदागुंडी के निवास, अन्य निजी और व्यावसायिक ठिकानों पर छापेमारी की। वहां से दस्तावेज़, रजिस्ट्रियां, नकद, और आभूषण भी बरामद किए गए हैं।
👨⚖️ विधायक बोले – नहीं बख्शे जाएंगे भ्रष्ट अधिकारी
कोप्पल विधायक के. राघवेंद्र हितनाल ने कहा, “यह घोटाला सरकारी धन के साथ विश्वासघात है। सरकार इस मामले को बेहद गंभीरता से ले रही है। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और गहन जांच करवाई जाएगी।”
📉 सरकारी व्यवस्था पर बड़ा सवाल
यह मामला एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार किस हद तक जड़ें जमा चुका है। एक मामूली क्लर्क द्वारा इतनी बड़ी संपत्ति अर्जित करना यह दर्शाता है कि निगरानी तंत्र कितनी कमजोर है।
📍 पहले भी हो चुकी हैं छापेमारियां
मंगलवार को ही लोकायुक्त ने हासन, चिक्कबल्लापुर, चित्रदुर्ग और बेंगलुरु में पांच अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी कर भारी मात्रा में बेनामी संपत्ति का खुलासा किया था।
📌 निष्कर्ष
कर्नाटक सरकार द्वारा शुरू की गई भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम में यह मामला एक बड़ा खुलासा है। यदि इस पर निष्पक्ष और तेज़ जांच हुई तो इससे अन्य अधिकारियों के मन में भी डर पैदा होगा और पारदर्शिता बढ़ेगी।