बेंगलुरु, (वेब वार्ता)। कर्नाटक सरकार ने राज्य के सरकारी स्कूलों और कॉलेज परिसरों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की गतिविधियों पर बैन लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। राज्य के मंत्री प्रियांक खरगे ने गुरुवार (16 अक्टूबर 2025) को कैबिनेट बैठक के बाद कहा कि मंत्रिमंडल ने RSS की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए नए नियम लाने का फैसला किया है। यह कदम RSS के युवाओं पर प्रभाव और संविधान विरोधी विचारधारा के आरोपों के बीच उठाया गया है।
प्रियांक खरगे का बयान: नए नियमों का विवरण
प्रियांक खरगे ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा, “हम जो नियम लाने जा रहे हैं, वे सार्वजनिक स्थानों, सरकारी स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी परिसरों, सरकारी स्वामित्व वाली संस्थाओं, और सहायता प्राप्त संस्थानों से जुड़े होंगे। हम गृह, कानून, और शिक्षा विभागों के पहले जारी आदेशों को एक साथ लाकर नया नियम बनाएंगे। अगले दो से तीन दिनों में यह नया नियम कानून और संविधान के दायरे में लागू हो जाएगा।”
खरगे ने जोर दिया, “हम किसी भी संगठन को नियंत्रित नहीं कर सकते, लेकिन अब से कोई भी संगठन सार्वजनिक स्थानों या सड़कों पर अपनी मर्जी से कुछ भी नहीं कर सकेगा। यदि आपको कुछ भी करना है तो सरकार से अनुमति लेनी होगी।”
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का बयान
मंत्री प्रियांक खरगे के बयान से एक दिन पहले बुधवार (15 अक्टूबर 2025) को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा था कि उनकी सरकार यह सुनिश्चित करने के तरीकों पर विचार कर रही है कि कोई भी संगठन लोगों को परेशान न करे। सिद्धारमैया ने मुख्य सचिव को इस मुद्दे पर समीक्षा करने के निर्देश दिए थे।
प्रियांक खरगे का मुख्यमंत्री को पत्र
प्रियांक खरगे ने पहले मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर सरकारी स्कूलों, कॉलेजों, और राज्य के स्वामित्व वाले मंदिरों में RSS की गतिविधियों पर बैन लगाने की मांग की थी। पत्र में उन्होंने आरोप लगाया कि RSS युवाओं के दिमाग को प्रभावित कर रहा है और संविधान के खिलाफ विचारधारा को बढ़ावा दे रहा है। खरगे ने तमिलनाडु की तर्ज पर कर्नाटक में भी ऐसे प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया था।
सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ
यह कदम कर्नाटक में RSS की गतिविधियों पर बढ़ते विवाद के बीच आया है। विपक्ष ने इसे राजनीतिक साजिश बताया है, जबकि सरकार इसे छात्रों के हित में कदम बता रही है। RSS ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला करार दिया है।
निष्कर्ष
कर्नाटक सरकार का यह फैसला RSS की सरकारी संस्थाओं में गतिविधियों पर पहली बार बैन लगाने की दिशा में बड़ा कदम है। नए नियमों की अधिसूचना जल्द जारी होने की उम्मीद है। यह कदम राज्य की राजनीति में नया विवाद पैदा कर सकता है।