Maharashtra: Congress
– फोटो : Amar Ujala/Sonu Kumar
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महाराष्ट्र कांग्रेस में मिलिंद देवड़ा के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने भी पार्टी का दामन छोड़ दिया है। इससे पहले कांग्रेस के कद्दावर नेता बाबा सिद्दीकी ने भी पार्टी से अलविदा कह दिया। जानकारी के मुताबिक कांग्रेस पार्टी में अभी और बड़ी भगदड़ मच सकती है। दरअसल पार्टी के भीतर तकरीबन 12 से ज्यादा बड़े नेता पार्टी आलाकमान से नाराज बताए जा रहे हैं। जानकारी यही मिल रही है कि अगले कुछ दिन के भीतर अगर विपक्षी दलों के साथ बातचीत बनती है, तो यह लोग भी कांग्रेस का दामन छोड़ सकते हैं। कई नेता तो कांग्रेस के विधायक भी हैं। दरअसल पार्टी के भीतर मची भगदड़ पीछे बड़ी वजह शिवसेना के साथ हुए कांग्रेस का करार का माना जा रहा है। इसी करार के चलते महाराष्ट्र में कुछ कांग्रेस के नेताओं का अपने अपने इलाकों में सियासी समीकरण बिगड़ता हुआ नजर आ रहा है।
जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, महाराष्ट्र कांग्रेस के कद्दावर नेता एक के बाद एक पार्टी छोड़ते जा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक पार्टी के भीतर तकरीबन 12 और ऐसे बड़े नेता हैं, जो जल्द ही पार्टी का दामन छोड़कर किसी अन्य दल में शामिल हो सकते हैं। महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में चर्चा इसी बात की है कि मिलिंद देवड़ा और बाबा सिद्दीकी के कुछ करीबी नेता इन दोनों लोगों के पार्टी छोड़ने के साथ ही कांग्रेस से अलग होने की जुगत में हैं। राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार हिमांशु शितोले कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी के भीतर महाराष्ट्र में बड़ी कुछ और नेताओं के पार्टी छोड़ने की चर्चाएं चल रही हैं। उनका कहना है कि जिस तरह महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण सोमवार को न सिर्फ पार्टी, बल्कि विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया, उससे तस्वीर साफ हो चुकी है कि आने वाले दिनों में कई और विकेट कांग्रेस के गिरने वाले हैं।
महाराष्ट्र के सियासी जानकारों का कहना है कि दरअसल कांग्रेस के भीतर मची उठा पटक के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण सामने आ रहे हैं। इसमें एक प्रमुख कारण कांग्रेस और शिवसेना का आपस में हुआ गठजोड़ भी है। राजनीतिक विश्लेषक जितेंद्र वाडवलकर कहते हैं कि दरअसल महाराष्ट्र में कांग्रेस की सियासत हमेशा से एक अलग तरह से होती आई थी, जिसमें मराठी नेता और हिंदी भाषी नेताओं के गुट थे। लेकिन महाअगाड़ी गठबंधन के बाद प्रत्याशियों के न केवल सियासी समीकरण बदलने शुरू हुए, बल्कि नेतृत्व में भी परिवर्तन होने लगा। महाराष्ट्र कांग्रेस पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता बताते हैं कि यहां पर शुरुआत से हिंदी भाषी नेताओं और मराठी नेताओं के गुट रहे हैं। लेकिन बीते कुछ समय से कांग्रेस की सियासत में हो रहे बदलाव का असर पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं पर भी पड़ रहा है। इसमें कई नेता खुद को आने वाले चुनाव में सीटों के समीकरण के लिहाज से असहज पा रहे हैं। यही वजह है कि जिसको जहां पर जैसा मौका या अन्य पार्टी से मजबूत आश्वासन मिल रहा है, वह कांग्रेस पार्टी छोड़ रहा है।