Sunday, October 5, 2025
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जबलपुर-कटनी का दो-दिवसीय वार्षिक इज्तेमा सामूहिक दुआ के साथ संपन्न

-गाजी बाग इज्तिमा ए आम में पैग़ाम – अल्लाह की मोहब्बत और सुन्नत की पाबंदी से बदलेगा हर मुसलमान का हाल


जबलपुर, (वेब वार्ता)। जबलपुर और कटनी ज़िलों का दो-दिवसीय वार्षिक इज्तेमा गाज़ी बाग़ ग्राउंड, जबलपुर में अत्यंत सफलतापूर्वक और धार्मिक माहौल में संपन्न हुआ। इस महत्वपूर्ण धार्मिक समागम में जबलपुर-कटनी ज़िले सहित आस-पास के ज़िलों से उलेमा-ए-कराम, बुजुर्गान और आम लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। इज्तेमा के दोनों दिन ईमान की इस्लाह (सुधार), अमल में पाबंदी, सुन्नत का पालन और दीन की दावत जैसे मौलिक विषयों पर विस्तृत बयानात (प्रवचन) दिए गए।

ईमान और सुन्नत पर ज़ोर

इज्तेमा के पहले दिन मुफ्ती सलमान क़ासमी साहब ने अपना विस्तृत बयान प्रस्तुत किया। उन्होंने सुन्नत की पाबंदी पर विशेष ज़ोर देते हुए फरमाया कि पैगंबर-ए-करीम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का हर काम और हर कहा हुआ शब्द हमारे लिए मार्गदर्शन है। उन्होंने उम्मत की सामूहिक इस्लाह (सुधार) और दीन पर सब्र व इस्तिक़ामत (डटे रहने) की प्रेरणा दी।Jabalpur-Katni two-day annual Ijtema concludes with collective prayers

दूसरे दिन, नमाज़-ए-अस्र के बाद नागपुर से पधारे इफ्तिखार साहब ने बयान दिया। उन्होंने अख़्लाक-ए-हसीना (अच्छे चरित्र) की अहमियत पर प्रकाश डाला और कहा कि एक अच्छा मुसलमान ही दीन की दावत को सबसे बेहतर तरीके से दुनिया के सामने पेश कर सकता है। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे अपने व्यवहार और आचरण से इस्लाम की ख़ूबसूरती को दर्शाएँ।

समापन सत्र: दीन की फ़िक्र और दावत की अहमियत

इज्तेमा के समापन सत्र में नमाज़-ए-मगरिब के बाद भोपाल से पधारे मौलाना ज़कारिया हफ़ीज़ साहब ने एक दिल को छू लेने वाला बयान फरमाया। उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत यह कहकर की कि दुनिया की हर चीज़ फ़ानी है और कयामत के दिन के लिए तैयारी ही एकमात्र सच्ची कामयाबी है

मौलाना साहब ने कुरआन और हदीस की रौशनी में तीन मुख्य बातों पर ज़ोर दिया:

  1. दीन की समझ (फिक्र): उन्होंने कहा कि अगर दुनिया के कामों के लिए निकाले जाने वाले समय का एक हिस्सा भी दीन सीखने में लगाया जाए, तो जीवन की कई परेशानियाँ आसान हो सकती हैं।
  2. अमल की पाबंदी: उन्होंने स्पष्ट किया कि सिर्फ जानना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि नमाज़, रोज़ा जैसे फ़राइज़ पर सच्चे मन से अमल करना ही सच्चे मोमिन की पहचान है।
  3. दावत और तबलीग़: उन्होंने विशेष रूप से युवाओं को संबोधित करते हुए दावत और तबलीग़ के फ़र्ज़ की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि अपने गाँव-क़स्बों में दीन का पैगाम पहुँचाना और इसके लिए वक्त निकालना एक ऐसा सदक़ा-ए-जारिया है जिसका सवाब कयामत तक मिलता रहेगा।

सामूहिक दुआ और मुल्क की सलामती की दरख़्वास्त

अपने बयान के अंत में, मौलाना ज़कारिया हफ़ीज़ साहब ने हज़ारों लोगों की उपस्थिति में एक दिलसोज (करुण) दुआ कराई। इस सामूहिक दुआ में ईमान में मज़बूती, कुरआन-सुन्नत पर चलने की तौफीक, गुनाहों की माफी, देश में अमन, पूरी उम्मत में भाईचारा और तरक्की की दरख़्वास्त की गई। दुआ के साथ ही इज्तेमा का सफल समापन हो गया। Jabalpur-Katni two-day annual Ijtema concludes with collective prayers

इज्तेमा की समाप्ति के तुरंत बाद, विभिन्न जमातें आस-पास के क़स्बों और गाँवों की ओर दीन की दावत का काम जारी रखने के लिए रवाना हुईं, ताकि यह रौशनी और अधिक लोगों तक पहुँच सके। सभी उपस्थित लोगों ने अल्लाह तआला से दुआ की कि वह इस इज्तेमा को क़बूल करे और पूरी उम्मत को सच्चे मार्ग पर चलने की तौफीक़ अता करे।

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