ग्वालियर, मुकेश शर्मा (वेब वार्ता)। गजराराजा अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज समूह के ट्रॉमा सेंटर की कमान लंबे समय से डॉक्टर सुनील सोलंकी के पास है। लेकिन अब गंभीर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने इस ट्रॉमा सेंटर को निजी अस्पतालों के माफिया के हवाले कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, डॉक्टर सुनील सोलंकी शहर के कम से कम आधा दर्जन निजी अस्पतालों में हिस्सेदार हैं।
ट्रॉमा सेंटर बना मरीजों के लिए मौत का जाल?
ग्वालियर का गजराराजा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल अंचल का सबसे बड़ा स्वास्थ्य संस्थान है। यहां ग्वालियर-चंबल संभाग के अलावा उत्तर प्रदेश और राजस्थान से भी मरीज इलाज के लिए आते हैं। लेकिन आरोप है कि ट्रॉमा सेंटर में मरीजों का आर्थिक शोषण किया जा रहा है।
सूत्र बताते हैं कि ट्रॉमा सेंटर के स्टाफ, 108 एम्बुलेंस संचालकों और कुछ निजी अस्पताल संचालकों की मिलीभगत से यह पूरा रैकेट चलता है। मरीजों को डर दिखाकर निजी अस्पतालों में भेजा जाता है, जहां लाखों रुपये की लूट की जाती है।
दलालों और अस्पताल माफिया की साठगांठ
ट्रॉमा सेंटर से मरीजों को निजी अस्पताल ले जाने के लिए दलालों की सक्रिय भूमिका सामने आई है। कुछ नाम जो प्रमुख रूप से सामने आए हैं:
इंड्स हॉस्पिटल (सिटी सेंटर पुल के नीचे)
ॐ हॉस्पिटल (थाटीपुर)
शुभम हॉस्पिटल (बसंत बिहार)
सुयश हॉस्पिटल (अचलेश्वर के पास)
बालाजी हॉस्पिटल (ललितपुर कॉलोनी)
जे.के. हॉस्पिटल (बसंत बिहार)
कहा जा रहा है कि लगभग 3 दर्जन निजी अस्पतालों का यह सिंडिकेट सक्रिय है। इन अस्पतालों में गजराराजा अस्पताल के डॉक्टरों की हिस्सेदारी भी बताई जा रही है।
10 करोड़ रुपये का अवैध कारोबार
सूत्रों के मुताबिक, इस पूरे खेल का मासिक टर्नओवर 10 करोड़ रुपये से ज्यादा है। इसमें दलालों, एम्बुलेंस ऑपरेटरों और अस्पताल प्रबंधन तक का हिस्सा शामिल है। यह भी आरोप है कि अस्पताल का उच्च प्रबंधन इस घोटाले में शामिल है।
कैसे चलता है खेल?
108 एम्बुलेंस से मरीज लाते ही जीपीएस सिस्टम बंद कर दिया जाता है।
रात में ट्रॉमा सेंटर में डॉक्टरों की अनुपस्थिति का फायदा उठाया जाता है।
मरीजों को डराकर कहा जाता है कि यहां सुविधा नहीं है, और निजी अस्पताल भेज दिया जाता है।
भ्रष्टाचार उन्मूलन संगठन ने इस मामले में मुख्य सचिव और कलेक्टर को पत्र लिखकर जांच की मांग की है।
क्या कह रहे हैं अधिकारी?
जब डॉक्टर सुनील सोलंकी से उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई, तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। बाद में दो अलग-अलग नंबरों से कॉल बैक आया, जिसकी रिकॉर्डिंग जांच एजेंसियों को सौंपी जाएगी।