परासिया (मध्य प्रदेश), (वेब वार्ता)। जहरीले कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामले में मध्य प्रदेश पुलिस ने कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। तमिलनाडु से गिरफ्तार श्रीसन फार्मा की रसायन विश्लेषक के. माहेश्वरी को विशेष जांच दल (एसआईटी) ने तीन दिन की पुलिस हिरासत में लिया है। बुधवार देर शाम एसआईटी माहेश्वरी को परासिया लेकर पहुंची थी। गुरुवार को न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी शैलेन्द्र उईके की अदालत में पेश करने के बाद उनकी तीन दिन की हिरासत मंजूर की गई। पुलिस अब माहेश्वरी से गहन पूछताछ कर रही है ताकि इस मामले की सच्चाई सामने आए।
गुणवत्ता जांच में गंभीर लापरवाही का आरोप
जानकारी के अनुसार, श्रीसन फार्मा में कोल्ड्रिफ कफ सिरप की गुणवत्ता जांच की जिम्मेदारी माहेश्वरी पर थी। लेकिन जांच प्रक्रिया में गंभीर लापरवाही के कारण अमानक और जहरीला सिरप बाजार में पहुंच गया, जिसके सेवन से कई बच्चों की किडनी खराब होने से मृत्यु हो गई। इस घटना ने पूरे देश में हड़कंप मचा दिया, और स्वास्थ्य मंत्रालय ने तत्काल जांच के आदेश दिए। एसआईटी माहेश्वरी से यह जानने की कोशिश कर रही है कि यह लापरवाही जानबूझकर थी या प्रक्रियागत चूक थी।
वहीं, कोल्ड्रिफ कफ सिरप के थोक विक्रेता और खुदरा विक्रेता की दो दिन की पुलिस हिरासत समाप्त होने के बाद उन्हें गुरुवार को अदालत में पेश किया गया। अदालत ने दोनों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। इससे पहले, छिंदवाड़ा और अन्य क्षेत्रों में बच्चों की मौत के बाद श्रीसन फार्मा के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू हुई थी।
एसआईटी की जांच तेज: तमिलनाडु में साक्ष्य संग्रह
विशेष जांच दल इस मामले को पूरी गंभीरता से ले रहा है। एसआईटी का एक हिस्सा तमिलनाडु में श्रीसन फार्मा के मालिक रंगनाथन, दवा कंपनी और औषधि परीक्षण प्रयोगशाला से संबंधित दस्तावेज, रिकॉर्ड और कर्मचारियों के बयान इकट्ठा कर रहा है। इसका उद्देश्य इस मामले को ठोस साक्ष्यों के साथ मजबूत करना है ताकि दोषियों को सजा दिलाई जा सके। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कांड भारत की औषधि नियामक व्यवस्था में गंभीर खामियों को उजागर करता है, जो 2022 के गाम्बिया कफ सिरप त्रासदी की तरह है, जिसमें 70 बच्चों की मौत हुई थी।
जांच में यह भी पता लगाया जा रहा है कि क्या अमानक सिरप जानबूझकर वितरित किया गया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, तमिलनाडु में श्रीसन फार्मा की विनिर्माण इकाई ने उचित विनिर्माण प्रथाओं (जीएमपी) का पालन नहीं किया, जिसके कारण सिरप में जहरीले पदार्थों की मिलावट हुई। एसआईटी भारत के औषधि नियंत्रक महानिदेशक (डीसीजीआई) के साथ समन्वय कर आपूर्ति श्रृंखला और नियामक चूकों की गहराई से जांच कर रही है।
जन आक्रोश और जवाबदेही की मांग
इस कफ सिरप त्रासदी ने व्यापक जन आक्रोश पैदा किया है, और अभिभावकों व कार्यकर्ताओं ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। इस घटना ने भारत की औषधि नियामक व्यवस्था की प्रभावशीलता पर सवाल उठाए हैं, खासकर पहले के समान मामलों के बाद। स्वास्थ्य मंत्रालय ने गहन जांच का वादा किया है और सभी राज्यों को बच्चों की दवाओं के उत्पादन से जुड़ी इकाइयों का निरीक्षण करने का निर्देश दिया है।
जबकि एसआईटी अपनी जांच जारी रखे हुए है, फोकस इस बात पर है कि ऐसी त्रासदियों की पुनरावृत्ति न हो। माहेश्वरी की पुलिस हिरासत और थोक व खुदरा विक्रेताओं को जेल भेजने का अदालत का फैसला सभी जिम्मेदार पक्षों को जवाबदेह ठहराने की दिशा में मजबूत इरादे को दर्शाता है। देश उन मासूम बच्चों के लिए न्याय की प्रतीक्षा कर रहा है, जिनकी जान इस रोकी जा सकने वाली त्रासदी में चली गई।