कन्नूर, 25 जुलाई (वेब वार्ता)। केरल की उच्च सुरक्षा वाली कन्नूर सेंट्रल जेल से शुक्रवार सुबह एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई—साल 2011 के बहुचर्चित सौम्या रेप-हत्या मामले का दोषी और कुख्यात अपराधी गोविंदाचामी जेल तोड़कर फरार हो गया। यह घटना न सिर्फ राज्य प्रशासन को झकझोरने वाली है, बल्कि यह जेल प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर भी बड़ा सवालिया निशान लगाती है।
सुबह 5 बजे चला पता, जेल परिसर में अंधेरा
जेल प्रशासन को गोविंदाचामी की फरारी का पता सुबह करीब 5 बजे चला, जब रूटीन जांच के दौरान उसकी कोठरी खाली पाई गई। हैरानी की बात यह रही कि जेल परिसर में उस वक्त बिजली गुल थी। दीवार पर कपड़ों से बनी रस्सी लटकी हुई मिली, जिससे अंदेशा है कि उसने 25 फीट ऊंची दीवार फांदकर फरारी को अंजाम दिया। गोविंदाचामी केवल एक हाथ से सक्षम है, ऐसे में उसकी इस “फिल्मी” तरह की फरारी ने पूरे राज्य को हैरत में डाल दिया है।
क्या ये सुनियोजित साजिश थी?
पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने इस घटना को साजिश करार देते हुए सीधे-सीधे वामपंथी नेतृत्व पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जेल संचालन समिति में माकपा के शीर्ष नेता पी. जयराजन शामिल हैं और इस घटना में मिलीभगत की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। वहीं, सौम्या की मां ने कहा कि “अगर ऐसी सीसीटीवी और सुरक्षा व्यवस्था में भी कोई दोषी भाग सकता है, तो इसमें अंदरूनी मिलीभगत की आशंका है।”
कौन है गोविंदाचामी?
गोविंदाचामी एक आदतन अपराधी है, जिस पर तमिलनाडु में भी आठ आपराधिक मामले दर्ज हैं। लेकिन उसे कुख्याति मिली 2011 में सौम्या के साथ हुए दरिंदगी भरे अपराध के बाद। 1 फरवरी 2011 को ट्रेन में सफर कर रही 23 वर्षीय सौम्या के साथ लूट, दुष्कर्म और हत्या जैसी वीभत्स वारदात को अंजाम देने के बाद गोविंदाचामी को गिरफ्तार किया गया था।
फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 2012 में उसे मौत की सजा सुनाई थी, जिसे केरल हाईकोर्ट ने 2013 में बरकरार रखा। हालांकि, 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने हत्या का दोष हटाते हुए सजा को उम्रकैद में बदल दिया। लेकिन उसकी छवि एक आदतन और खतरनाक अपराधी की बनी रही।
पुलिस अलर्ट पर, तलाशी अभियान जारी
राज्य के पुलिस महानिदेशक रेवाड़ा चंद्रशेखर ने खुद मामले की निगरानी शुरू कर दी है। पूरे कन्नूर क्षेत्र में हाई अलर्ट घोषित किया गया है और सभी सीमाओं पर नाकेबंदी की गई है। ड्रोन से निगरानी और स्पेशल फोर्सेस को भी लगाया गया है।
2011 में गोविंदाचामी को पकड़ने वाले पुलिस अफसर अशरफ ने कहा, “मुझे हमेशा लगता था कि अगर इस पर नजर नहीं रखी गई तो यह भाग सकता है। यह बेहद शातिर और खतरनाक है।”
समाज में डर और आक्रोश
इस फरारी ने न सिर्फ कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं, बल्कि समाज में डर का माहौल भी पैदा किया है। यह वही दोषी है, जिसकी करतूत ने एक दशक पहले पूरे देश को हिला दिया था। अब उसका फरार होना यह बताता है कि सिस्टम में आज भी गंभीर खामियां हैं।
निष्कर्ष
गोविंदाचामी की फरारी एक आपराधिक घटना से ज्यादा एक संस्थागत विफलता का प्रतीक बनकर उभरी है। यह केरल जैसे प्रगतिशील राज्य में प्रशासनिक जिम्मेदारी और जवाबदेही पर गहरे प्रश्नचिन्ह लगाती है। एक तरफ महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सरकारें बड़े-बड़े वादे करती हैं, वहीं दूसरी तरफ ऐसे अपराधियों को जेल से भागने दिया जाता है। अब देखना होगा कि सरकार कितनी तेजी से इस अपराधी को पकड़ पाती है और क्या दोषियों पर कोई ठोस कार्रवाई होती है।