ई पेपर
Saturday, September 13, 2025
WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक
सब्सक्राइब करें
हमारी सेवाएं

‘राष्ट्र के सामाजिक ताने-बाने को छिन्नभिन्न करने की साजिश का परिणाम थे दिल्ली दंगे’

नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे के पांच साल पूरे होने पर बुद्धिजीवियों और शिक्षाविदों के एक समूह ने शनिवार को दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया। दिल्ली दंगों के पांच साल पूरे होने पर बुद्धिजीवियों और शिक्षाविदों के एक समूह द्वारा आयोजित कार्यक्रम में प्रतिष्ठित हस्तियों ने कहा कि दंगे एक सहज प्रतिक्रिया नहीं थे। दंगे कुछ समूहों द्वारा अस्थिरता पैदा करने और राष्ट्र के सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न करने की एक साजिश का परिणाम थे। कार्यक्रम की शुरुआत में दंगा पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी गई।

इस कार्यक्रम में न्यायमूर्ति एस.एन. ढींगरा, पूर्व सत्र न्यायाधीश राजेंद्र शर्मा , सुप्रीम कोर्ट में वकिल मोनिका अरोड़ा, आईपीएस एस.एन. श्रीवास्तव, न्यायमूर्ति प्रमोद कोहली, आईएफएस भास्वती मुखर्जी और कई अन्य लोग उपस्थित थे।

न्यायमूर्ति एस. एन. ढींगरा ने इस बात पर जोर दिया कि किस तरह से भारत में लोग आपसी सामंजस्यपूर्ण सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा हैं, जहां सदियों से समुदायों के बीच आपसी भाईचारा और सह-अस्तित्व देखने को मिलता है। ये सभी मूल्य एकता और साझा परंपराओं को बढ़ावा देते हैं और भारत में संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं के समन्वयकारी मिश्रण को उजागर करते हैं। यह देश लंबे समय से विभिन्न धर्मों और समुदायों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का प्रतीक रहा है।

न्यायमूर्ति ढींगरा ने चिंता जताई कि क्या यह सांस्कृतिक सद्भाव विशेष समुदायों के हाशिए पर जाने या शोषण के कारण प्रभावित हुआ है?

राजेंद्र शर्मा ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) ओर दिल्ली में हुईं अशांति में इसकी भूमिका पर ध्यान केंद्रित करते हुए 2020 के दिल्ली दंगों के पीछे के कारणों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करते हुए कहा कि दंगे एक सहज प्रतिक्रिया नहीं थे। कुछ समूहों द्वारा अस्थिरता पैदा करने और राष्ट्र के सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न करने की एक साजिश का परिणाम थे।

शर्मा ने स्पष्ट किया कि सीएए किसी भी तरह से भारतीय मुसलमानों के नागरिकता अधिकारों को नहीं छीनता है। सीएए विशिष्ट सताए गए अल्पसंख्यकों को उनकी विशिष्ट ऐतिहासिक परिस्थितियों के आधार पर नागरिकता प्राप्त करने का मार्ग प्रदान करता है।

मोनिका अरोड़ा ने बताया कि नागरिकों के खोए हुए जीवन और सहे गए दर्द को याद रखना है ताकि भविष्य में ऐसा न हो। उन्होंने उन अंतर्निहित कारकों की भी जांच करने पर जोर दिया, जिन्होंने इन भयानक दंगों की रूपरेखा तैयार करने में अहम भूमिका निभाई। सार्वजनिक धारणा को प्रभावित करने और संघर्ष को बढ़ावा देने में सूचना युद्ध ( इन्फॉर्मेशन वारफेयर) का दृष्टिकोण बनाने की भूमिका अदा की।

उन्होंने बताया कि दिल्ली दंगों ने सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक विभाजन को उजागर किया। दृश्यमान हिंसा और विनाश से परे, अदृश्य लेकिन शक्तिशाली ताकत काम कर रही थी, जिसने इस पटकथा को निर्देशित किया, भावनाओं को भड़काया और सार्वजनिक सदभाव में हेरफेर किया। वह ताकत सूचना युद्ध के लिए बुनियादी रूप से जनता की राय को प्रभावित करने, सामाजिक सद्भाव को बाधित करने या राजनीतिक या वैचारिक लाभ के लिए घटनाओं में हेरफेर करने के लिए सूचना के रणनीतिक उपयोग को संदर्भित करता है।

कार्यक्रम के अंत में पीजीडीएवी कॉलेज सांध्य के उड़ान नामक नाट्यमंच के छात्रों ने अपने नाटक के मंचन के माध्यम से दिल्ली दंगों की पर्दे की पीछे बनी रणनीति को उजागर किया।

Author

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

वेब वार्ता समाचार एजेंसी

संपादक: सईद अहमद

पता: 111, First Floor, Pratap Bhawan, BSZ Marg, ITO, New Delhi-110096

फोन नंबर: 8587018587

ईमेल: webvarta@gmail.com

सबसे लोकप्रिय

खबरें और भी