-पीड़िता बेहोशी की हालत में बनी शोषण का शिकार, अस्पताल पर लापरवाही के आरोप
पचपेड़वा/बलरामपुर, कमर खान (वेब वार्ता)। जनपद बलरामपुर के पचपेड़वा थाना क्षेत्र स्थित विमला विक्रम अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती महिला के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आने से क्षेत्र में सनसनी फैल गई। पीड़िता की शिकायत पर पुलिस ने आरोपी अस्पताल कर्मचारी के विरुद्ध गंभीर धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर उसे 48 घंटे के भीतर गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया है। मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की ओर से सख्त रुख अपनाया गया है।
घटना का विवरण
पीड़िता ने पुलिस को दी गई तहरीर में बताया कि वह 24 जुलाई की शाम को विमला विक्रम अस्पताल में इलाज हेतु भर्ती हुई थी। देर रात करीब 4 बजे अस्पताल के कर्मचारी योगेश पाण्डेय ने उसे इंजेक्शन लगाया, जिससे वह बेहोश हो गई। पीड़िता के अनुसार, बेहोशी की हालत में आरोपी ने उसके साथ दुष्कर्म किया। जब होश में आई तो विरोध करने पर आरोपी वहां से भाग गया।
अभियोग पंजीकरण और गिरफ्तारी
थाना पचपेड़वा में पीड़िता की शिकायत पर मु0अ0सं0 146/25, धारा 64(2)(e), 123 बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) के अंतर्गत तत्काल मुकदमा दर्ज किया गया।
पुलिस अधीक्षक विकास कुमार के निर्देश पर अपर पुलिस अधीक्षक विशाल पाण्डेय, क्षेत्राधिकारी नगर बृजनन्दन राय के पर्यवेक्षण तथा प्रभारी निरीक्षक ओम प्रकाश चौहान के नेतृत्व में गठित टीम ने मुखबिर की सूचना पर आरोपी योगेश पाण्डेय को भाथर पुल के पास से गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तारी करने वाली टीम में निरीक्षक संतोष कुमार त्रिपाठी, कांस्टेबल राहुल पाल एवं शिव कुमार सम्मिलित रहे।
आरोपी का इकबालिया बयान
पूछताछ में आरोपी ने स्वीकार किया कि वह अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ के पद पर कार्यरत है। नाइट शिफ्ट में उसकी ड्यूटी इमरजेंसी वार्ड में थी। उसने बताया कि रात करीब 1 बजे अन्य स्टाफ नर्स के जनरल वार्ड चले जाने के बाद उसने उक्त महिला को अकेला पाकर अपनी हवस का शिकार बना डाला।
प्रशासन ने दिए जांच के आदेश
घटना के प्रकाश में आने के बाद जिला स्वास्थ्य अधिकारी एवं प्रशासन ने अस्पताल से स्पष्टीकरण मांगा है। अस्पताल प्रशासन की लापरवाही को लेकर क्षेत्रीय जनता में आक्रोश है। सूत्रों के अनुसार, अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था व भर्ती प्रक्रिया की भी समीक्षा की जाएगी।
स्वास्थ्य विभाग की प्रतिक्रिया
जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ___ (नाम प्रतीक्षित) ने बताया कि “यदि निजी अस्पताल में महिला सुरक्षा के मानक उल्लंघन हुए हैं, तो संबंधित प्रबंधन के विरुद्ध लाइसेंस निरस्तीकरण तक की कार्रवाई की जा सकती है।”
महिला सुरक्षा पर सवाल
यह घटना स्वास्थ्य संस्थानों में महिला सुरक्षा की गंभीर स्थिति को उजागर करती है। यह चिंतनीय है कि जहां महिलाओं को स्वास्थ्य लाभ हेतु सुरक्षित माना जाता है, वहां भी वे असुरक्षित हैं। महिला आयोग, स्वास्थ्य मंत्रालय एवं जिला प्रशासन को मिलकर ऐसे मामलों में कठोर व शीघ्रतम न्याय सुनिश्चित करना चाहिए।
राजनीतिक एवं सामाजिक प्रतिक्रियाएं
अभी तक किसी प्रमुख जनप्रतिनिधि की सार्वजनिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन महिला अधिकार संगठनों ने प्रशासन से त्वरित न्याय और अस्पताल प्रबंधन पर कठोर कार्रवाई की मांग की है।