Thursday, July 31, 2025
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जींद : राजकीय कन्या विद्यालय सिंघाना में बाल संरक्षण पर सेमिनार, बच्चों को रिश्तों को समझदारी से संभालने की दी सीख

सफीदों (जींद), (वेब वार्ता)। हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद की राज्य स्तरीय परियोजना ‘बाल सलाह, परामर्श व कल्याण केंद्र’ के तहत आज सफीदों उपमंडल के गांव सिंघाना स्थित राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में किशोरियों के लिए एक महत्वपूर्ण सेमिनार का आयोजन किया गया।

इस सेमिनार का विषय था – “बाल देखभाल और संरक्षण : सावधान रहें और रिश्तों को संभालें”, जिसमें बाल अधिकारों, सुरक्षा, भावनात्मक सशक्तिकरण और सामाजिक सरोकारों पर गहन चर्चा की गई।

मुख्यवक्ता अनिल मलिक का संबोधन

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में मंडलीय बाल कल्याण अधिकारी रोहतक एवं राज्य नोडल अधिकारी अनिल मलिक ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा:

“बच्चों की सुरक्षा केवल एक कानूनी दायित्व नहीं, बल्कि समाज की सामूहिक नैतिक जिम्मेदारी भी है।”

उन्होंने कहा कि किसी भी बच्चे को शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक या सामाजिक रूप से किसी प्रकार की उपेक्षा, दुर्व्यवहार, तिरस्कार या शोषण का शिकार नहीं होने देना चाहिए। बच्चों को सुरक्षित, प्रेरणादायी और सकारात्मक वातावरण उपलब्ध कराया जाना बेहद ज़रूरी है।

भावनात्मक समझ और रिश्तों की शिक्षा

अनिल मलिक ने बालिकाओं से संवाद करते हुए कहा कि:

  • बच्चों को अपनी भावनाओं को सही व्यक्ति के सामने व्यक्त करना, धैर्य बनाए रखना और किसी भी समस्या में मदद मांगने की आदत विकसित करनी चाहिए।

  • समाज में ऐसे प्रेरणादायी लोगों की पहचान करनी चाहिए जो प्रोत्साहन और मार्गदर्शन दे सकें।

  • रिश्तों को सोच-समझकर, सहेजकर निभाना चाहिए ताकि वे संबल और सुरक्षा बनें।

  • बच्चों को सिखाया जाना चाहिए कि वे मदद करने वालों की सच्ची प्रशंसा और आभार व्यक्त करें, जिससे सकारात्मक संवाद की परंपरा बने।

बाल अधिकारों की सुरक्षा पर ज़ोर

कार्यक्रम में यह भी कहा गया कि बच्चों के मौलिक अधिकारों – जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, सम्मान, सुरक्षा, अभिव्यक्ति और विकास – की रक्षा करना शासन और समाज दोनों की जिम्मेदारी है।

बच्चों की भावनात्मक परिपक्वता और रिश्तों की समझ उन्हें जीवन में कठिन परिस्थितियों से निपटने के लिए आंतरिक शक्ति प्रदान करती है।

विद्यालय की प्रधानाचार्य व स्टाफ की भूमिका

विद्यालय की प्रधानाचार्य और अन्य शिक्षकों ने इस सार्थक पहल के लिए राज्य बाल कल्याण परिषद का आभार व्यक्त किया और कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाएं बच्चों को न केवल आत्मनिर्भर बनाती हैं, बल्कि सशक्त, जागरूक और सुरक्षित नागरिक बनने में भी मदद करती हैं।

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