Saturday, July 26, 2025
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छत्तीसगढ़ में 66 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण, सीएम साय बोले – बस्तर में शांति स्थापना की ओर बड़ा कदम

रायपुर/बस्तर, 25 जुलाई (वेब वार्ता)। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई को बड़ी सफलता मिली है। गुरुवार को बस्तर के पांच जिलों में 66 कट्टर नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर लोकतांत्रिक व्यवस्था की मुख्यधारा में लौटने का संकल्प लिया। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इसे “राज्य में शांति और विकास की दिशा में मील का पत्थर” बताया।

इस आत्मसमर्पण में शामिल नक्सलियों में 49 सक्रिय उग्रवादी शामिल थे, जिन पर कुल 2.27 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था। सबसे प्रमुख नाम रमन्ना इरपा उर्फ जगदीश का है, जो भाकपा (माओवादी) की विशेष क्षेत्रीय समिति का सदस्य था और उस पर 25 लाख रुपये का इनाम घोषित था।

आत्मसमर्पण का भूगोल

मुख्यमंत्री साय ने बताया कि आत्मसमर्पण का यह आयोजन बीजापुर, दंतेवाड़ा, कांकेर, नारायणपुर और सुकमा में हुआ।

  • बीजापुर से 25

  • दंतेवाड़ा से 15

  • कांकेर से 13

  • नारायणपुर से 8

  • सुकमा से 5
    उग्रवादियों ने औपचारिक रूप से हिंसा त्यागी और संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ ली।

महिला नक्सलियों की भी बड़ी भागीदारी

इस सामूहिक आत्मसमर्पण में बड़ी संख्या में महिला नक्सली भी शामिल थीं। इनमें से कई पिछले दो दशकों से जंगल में सक्रिय रहीं और संगठन में रणनीतिक भूमिका निभा रही थीं।

दंतेवाड़ा में ‘टॉप रेड रिबन’ सरेंडर

दंतेवाड़ा में आत्मसमर्पण करने वालों में शामिल थे:

  • बुधराम उर्फ लालू कुहारम (इनामी: ₹8 लाख), जो वर्ष 2013 और 2018 की दो बड़ी नक्सली वारदातों का मुख्य आरोपी था।

  • उसकी पत्नी कमली उर्फ मोती पोतावी (इनामी: ₹5 लाख), जो इरपानार, थुलथुली जैसे जंगल क्षेत्रों में मुठभेड़ों में शामिल रही थी।

  • इसके अलावा ₹2 लाख का इनामी पोज्जा उर्फ पोडिया मड़कम, ₹1 लाख की महिला कार्यकर्ता आयते उर्फ संगीता सोडी और पांडे माडवी ने भी हथियार डाले।

मुख्यमंत्री साय का बयान

सीएम साय ने कहा, “यह घटनाक्रम दर्शाता है कि राज्य सरकार की ‘पूना मार्गेम नीति’ (पुनर्वास के माध्यम से पुनरुत्थान) सही दिशा में कार्य कर रही है। पिछले 18 महीनों में अब तक 1,570 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। इसका श्रेय केंद्र और राज्य सरकार की ‘डबल इंजन नीति’ को जाता है।”

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का विशेष धन्यवाद करते हुए कहा कि “बस्तर अब बंदूक नहीं, विकास की भाषा समझ रहा है।”

पुलिस की सख्त रणनीति

राज्य पुलिस प्रमुख रेवाड़ा चंद्रशेखर और एएसपी (अभियान) उदित पुष्कर ने बताया कि सरेंडर करने वालों में अधिकतर ऐसे थे जो पहले सड़क जाम, तोड़फोड़, वनों की कटाई और ग्रामीणों में भय फैलाने जैसी गतिविधियों में शामिल थे।

पुनर्वास योजनाएं और भविष्य की राह

राज्य सरकार ने आत्मसमर्पण करने वालों के लिए पुनर्वास योजना के तहत आर्थिक सहायता, कौशल प्रशिक्षण और रोजगार विकल्प उपलब्ध कराने की दिशा में काम शुरू कर दिया है।

इस सामूहिक आत्मसमर्पण को केवल सुरक्षा सफलता कहना काफी नहीं होगा, यह सामाजिक और प्रशासनिक विश्वास की जीत भी है। वर्षों तक जिन इलाकों में बंदूक बोलती थी, वहां अब संवाद की गुंजाइश बन रही है। बस्तर जैसे संघर्ष-ग्रस्त क्षेत्रों में सरकार का यह दृष्टिकोण – “सख्ती के साथ संवाद” – आने वाले समय में नक्सलवाद की कमर तोड़ सकता है।

छत्तीसगढ़ के इस प्रयास को अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल के रूप में देखा जाना चाहिए, जहां सशस्त्र विद्रोह को केवल गोली से नहीं, बल्कि विश्वास और पुनर्वास से भी हराया जा सकता है।

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