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Monday, March 27, 2023

पंचामृत से बढ़ेगी गन्ने की पैदावार, खुशहाल होगा किसान

शाहजहांपुर, (राम निवास शर्मा)। पंचामृत विधा के तहत अगर किसान गन्ने की खेती करता है तो वह मालामाल हो जाएगा, क्योंकि पंचामृत विधा के तहत किसान की गन्ने की फसल की पैदावार अधिक होगी। इस वक्त बसंत कालीन गन्ना बुआई की तैयारी है। 15 फरवरी से लेकर 30 अप्रैल तक बसंतकालीन गन्ना बुआई होने को है, ऐसे में चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है, जिसमें किसानों को पंचामृत विधा अपनाने की अपील चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय आर भूसरेड्डी ने की है।

जानिए क्या है पंचामृत विधा

पंचामृत विधा के पांच घटक हैं। इसमें ट्रेंच विधि द्वारा गन्ना बुआई, गन्ने के साथ सहफसली खेती, पेड़ी प्रबंधन, ड्रिप विधि से सिंचाई, ट्रेश मल्चिंग है। किसान इन घटकों को अपनाकर गन्ने की पैदावार में वृद्धि कर सकते हैं।

ट्रेंच विधि से लाभ :बसंतकाल में ट्रेंच विधि से गन्ने की बुआई करके 60 से 70 प्रतिशत तक गन्ने में जमाव होता है।

सहफसली खेती से लाभ : बसंतकाल में गन्ने के साथ मूंग और उर्द की सहफसली खेती द्वारा अतिरिक्त आमदनी होती है। दलहनी फसलों के जड़ों में पाए जाने वाले बैक्टीरिया द्वारा वायुमंडलीय नत्रजन का अवशोषण कर मृदा उर्वरता में बढ़ोतरी होती है।

ड्रिप विधि से सिंचाई से लाभ : ड्रिप विधि से सिंचाई से जहां जल में बचत होती है, वहीं गन्ने की जड़ों के पास आवश्यक सिंचाई जल की पूर्ति कर उपज में अत्याधिक वृद्धि होती है।

पेड़ी प्रबंधन से लाभ : पेड़ी प्रबंधन तकनीक के तहत रैटून मैनेजमेंट डिवाइस द्वारा 20 से 25 प्रतिशत कम लागत में उतनी ही उपज प्राप्त कर सकते हैं।

ट्रेश मल्चिंग से लाभ : ट्रेश मल्चिग द्वारा किसान मृदा नमी को संरक्षित कर कार्बनिक पदार्थों में वृद्धि कर सकता है, साथ ही खरपतवार नियंत्रण में रहता है।

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