लखनऊ, (वेब वार्ता)। राजधानी लखनऊ शहर जितना खूबसूरत है उतना ही मजेदार यहां के टूरिस्ट प्लेस हैं। यहां एक से बढ़कर एक इमारतें और स्पॉट हैं। जहां दूर-दूर से लोग घूमने आते हैं। एक ऐसी ही इमारत भूल भुलैया है। 200 सालों से अधिक पुरानी यह इमारत वास्तव में भूल भुलैया है। यहां बिना गाइड के पर्यटक खो जाते हैं। यहां अंदर जाने के तो कई रास्ते हैं लेकिन निकलने का केवल एक रास्ता है।
बड़े इमामबाड़े का निर्माण साल 1784 में नवाब आसफुद्दौला ने करवाया था। इसी के भीतर भूलभुलैया है। यह रास्तों के ऐसा जाल है जो पर्यटकों को भ्रम में डाल देता है । खास बात ये है कि भूल भुलैया के दिवारों के भी कान हैं। दरअसल 163 फीट की दूर बालकनी से माचिस की तीली जालने पर इसकी आवाज बालकनी में खड़े सभी को सुनाई देती है। भूल भुलैया की गैलरी लकड़ी के खंभों पर टिकी है हालांकि अब ये जर्जर हो चुका है।
भूल भुलैया को लेकर ऐसा कहा जाता है कि इसकी दीवारों को उड़द दाल, गुड़, गन्ने के रस, सिंघाड़े के आटे के मिश्रण से बनाया गया है। इमारत में 330 फीट की लंबी सुरंग है। जहां से सैनिक दुश्मनों पर नजर रखते थे। अब बात करते हैं इमामबाड़े की। इस इमारत की वास्तुकला मुगल, राजपूत और यूरोपियन से मेल खाता है। इमारत में बने बड़ी-बड़ी खिड़कियां बेहद खूबसूरत लगती हैं। खास बात यह है कि इनका डिजाइन ऐसा है कि बाहर बैठे लोग तो दिखाई देंगे लेकिन अंदर वाला दिखाई नहीं देगा।
कैसे पहुंचे : लखनऊ चारबाग से इमामबाड़े और भूलभुलैया की दूरी 5 किलोमीटर है। यहां से सीधे आपको ऑटो मिल जाएगी। इसके अलावा एयरपोर्ट से इसकी दूरी 14 किलोमीटर दूर है। आप यहां बस, कैब या ट्रासंपोर्ट व्हीकल से आराम से भूल भुलैया जा सकते हैं।