लखनऊ, (वेब वार्ता)। यूपी में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल खत्म हो गई है। संघर्ष समिति ने 72 घंटे के कार्य बहिष्कार आंदोलन का ऐलान था जिसे एक दिन पहले ही वापस ले लिया गया है। हड़ताल वापसी के ऐलान के साथ ही ऊर्जा मंत्री ने संघर्ष समिति के पदाधिकारियों से कहा है कि प्रदेश में जहां कहीं भी बिजली सप्लाई ठप हो उसे जल्द से जल्द शुरू किया जाए और जो भी कर्मचारी कार्यस्थल पर न हों वे तुरंत वहां जाकर अपनी ड्यूटी सम्भालें।
शनिवार की रात सरकार और कर्मचारी नेताओं के बीच बातचीत बेनतीजा रही थी लेकिन रविवार को जब जल निगम के गेस्ट हाउस में कर्मचारी नेता एक बार फिर ऊर्जा मंत्री एके शर्मा और चेयरमैन एम देवराज के साथ बैठै तो काफी सकारात्मक ढंग से बातचीत हुई। इस बातचीत के बाद बिजली कर्मचारी नेताओं ने हड़ताल खत्म करने की घोषणा कर दी। ऊर्जा मंत्री ने कहा कि सरकार पहले भी बातचीत के लिए तैयार थी। आज की वार्ता सकारात्मक रही है। सभी कर्मचारियों से अपील है कि तत्काल काम पर लौट जाएं।
यह आश्वासन भी दिया कि हड़ताल के दौरान कर्मचारियों पर हुई कार्यवाही को वापस लिया जाएगा। ऊर्जा मंत्री ने विद्युत कर्मचारी संगठनों को धन्यवाद देते हुए अपील की कि हड़ताल वापस होने के बाद कर्मचारी तत्काल काम पर वापस लौटें और जहां कहीं बिजली बाधित है चाहे वो फीडर हो या विद्युत उपकेंद्र हो, उन जगहों को तत्काल नियंत्रण में ले लें और जनता की सेवा में जुट जाएं।
कर्मचारियों को क्या आश्वासन दिया गया है इस सवाल पर ऊर्जा मंत्री ने कहा कि विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति और सरकार के बीच पिछले कई महीनों में कई दौर की बातचीत हुई है। कुछ बातें लिखी हुई हैं और कुछ नहीं लेकिन कर्मचारी संगठनों की जो भी भावनाएं और मांगे हैं उन सब बात करके सार्थक परिणाम तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे। इसके साथ ही वर्तमान आंदोलन के दौरान हुई कार्यवाहियों को भी वापस लेने का निर्देश यूपीपीसीएल के चेयरमैन को दिया गया है।
बिजली कर्मचारी संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि हम किसी कीमत पर प्रदेश की आम जनता को तकलीफ नहीं पहुंचाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि कर्मचारी अपने हक की लड़ाई लड़ते रहेंगे। सरकार ने समझौते को लागू करने का आश्वासन दिया है। इसी आधार पर हड़ताल वापस ली जा रही है।
ध्वस्त हो गई थी बिजली व्यवस्था
बिजली कर्मचारियों की प्रदेशव्यापी 72 घंटे की हड़ताल के 48 घंटे के अंदर (शनिवार की रात 10 बजे तक) प्रदेश की बिजली व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त नजर आई। बिजली संकट की वजह से कई जिलों में पानी के लिए भी हाहाकार मचा था। लोग, परेशान होकर सड़कों पर उतर आए थे। पूरब से लेकर पश्चिम तक घरों, दफ्तरों और उद्योग-धंधों पर हड़ताल का असर पड़ रहा था।। इस बीच रविवार सुबह प्रयागराज के टैगोर टाउन उपकेंद्र से तोड़फोड़ की खबर भी आई। बताया गया कि रात में उपकेंद्र का ताला तोड़ उपकरणों के साथ छेड़छाड़ की गई। प्रयागराज के तेलियरगंज में भी बीती रात बिजली ठप कराई गई। सुबह, बुलाने आए लोगों को देख कर्मचारी दीवार फांदकर भाग गया। जनता की दिक्कतों को देखते हुए सरकार ने भी हड़ताली कर्मचारियों के खिलाफ सख्त रुख अख्तियार कर लिया था।
बर्खास्त कर दिए गए थे तीन हजार से ज्यादा कर्मचारी
24 घंटे के अंदर तीन हजार से ज्यादा आउटसोर्स संविदा कर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया था। संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे समेत 22 कर्मचारी नेताओं के खिलाफ एस्मा के तहत कार्रवाई की गई थी। इसके अलावा पूर्वांचल में 20 और दक्षिणांचल में 14 कर्मचारियों व हड़ताली इंजीनियरों के खिलाफ एस्मा के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था। छह को निलंबित करने के साथ उनका तबादला लखनऊ से दूर करने का आदेश दिया गया था। देर रात तक ऊर्जा मंत्री की हड़ताली कर्मचारियों के साथ बातचीत हुई लेकिन बेनतीजा रही थी। रविवार को हड़ताल वापसी के बाद सरकार ने आश्वासन दिया है कि हड़ताल के दौरान की गई कार्यवाहियों को विधिक तरीके से वापस लिया जाएगा।