कुशीनगर, (वेब वार्ता)। यूपी के कुशीनगर जिले का एक वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में कुछ लोग खराब एम्बुलेंस को धक्का लगाते नजर आ रहे हैं। वायरल वीडियो तीन दिन पुराना बताया जा रहा है। जब इसकी सच्चाई जानने का प्रयास किया गया तो पता चला कि बुधवार को फाजिलनगर क्षेत्र में यह घटना हुई थी।
एम्बुलेंस में सवार एक मरीज को सीएचसी से रेफर किया गया, जो सरकारी एम्बुलेंस से जिला अस्पताल के लिए निकला, लेकिन अस्पताल से कुछ दूर आगे जाने पर ही एम्बुलेंस खराब हो गई। इसके बाद परिजन एम्बुलेंस को धक्का लगाने लगे। फिर भी गाड़ी स्टार्ट नहीं हुई तो दूसरे एंबुलेंस के लिए प्रयास किया। मामला जब एम्बुलेंस के प्रोग्राम मैनेजर तक पहुंचा तो उन्होंने दूसरी एम्बुलेंस को मौके पर भेज दिया। परिजनों का आरोप है कि दूसरी एम्बुलेंस के आने में करीब दो घंटे का वक्त लगा। इसके चलते उनके मरीज की मौत हो गई।
पटहेरवा थाना क्षेत्र के बलुआ शमशेर शाही निवासी मोहन शर्मा के 17 वर्षीय पुत्र बबलू का अचानक तबीयत बिगड़ गया और उसे सांस लेने में परेशानी होने लगी। परिजन उसे इलाज के लिए सीएचसी फाजिलनगर लेकर पहुंचे, जहां प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टरों ने उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया। परिजन उसे सरकारी एम्बुलेंस से जिला अस्पताल के लिए निकले, लेकिन कुछ ही दूरी पर एम्बुलेंस खराब हो गई। इसके बाद परिजन एम्बुलेंस को धक्का देने लगे। काफी प्रयास के बाद भी एम्बुलेंस चालू नहीं हो सकी। इस बीच परिजन दूसरे एम्बुलेंस के लिए प्रयास करने लगे और जिस नम्बर पर बात हुई थी, उस पर दोबारा बातचीत कर मरीज की हालत काफी नाजुक बताते हुए तत्काल एम्बुलेंस भेजने की गुहार लगाई। जब मामला एम्बुलेंस प्रोग्राम मैनेजर सचिंद्रनाथ चौधरी तक पहुंचा तो उन्होंने तमकुहीराज से दूसरी एम्बुलेंस भेजी।
इधर, परिजनों का आरोप है कि दूसरी एम्बुलेंस के आने में करीब दो घंटे का वक्त लग गया और मरीज बबलू की लगातार हालत बिगड़ती चली गई। जब दूसरी एम्बुलेंस वहां पहुंची तो मरीज बबलू को उसमें शिफ्ट किया जाने लगा। इसी दौरान उसकी मौत हो गई। मृतक के पिता का आरोप है लापरवाही के चलते ही उनके बेटे की मौत हुई है। अगर समय से एम्बुलेंस आ गई होती तो उनके बेटे को जिला अस्पताल शीघ्र पहुंचाई जा सकती थी और उपचार भी शुरू हो जाता। उन्होंने मामले की जांच कर कार्रवाई की मांग की है।
फाजिलनगर सीएचसी के अधीक्षक डॉ. यूएस नायक का कहना है कि मरीज को सांस लेने के साथ पेट में भी परेशानी थी। प्राथमिक उपचार के बाद उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। इसके बाद की घटना की कोई जानकारी हमें नहीं है।
सरकारी एंबुलेंस सेवा के प्रोग्राम
24 घंटे और सातों दिन एम्बुलेंस सड़कों पर लोगों की सेवा में दौड़ती है। उस दिन एम्बुलेंस का एक्सल टूट गया था। एम्बुलेंस में मरीज होने की जानकारी के बाद मेरे द्वारा तमकुहीराज से एक दूसरी एम्बुलेंस को मौके पर भेज दी गई थी। ईएमटी ने भी मरीज को बचाने की पूरी कोशिश की। मरीज की स्थिति बेहद ही नाजुक थी। ऑक्सीजन लेवल सामान्य से भी कम था। लापरवाही का आरोप निराधार है। एम्बुलेंस व उसके कर्मी लोगों की सहायता के लिए ही होते हैं।