ललितपुर, 24 सितंबर (आलोक चतुर्वेदी)। जिलाधिकारी अक्षय त्रिपाठी ने कहा कि जनपद में फसल अवशेष जलाने की घटनाओं की रोकथाम के लिए तहसीलवार उड़न दस्ता टीम का गठन किया गया है, जिसमें सम्बंधित तहसील के उपजिलाधिकारी, क्षेत्राधिकारी एवं कृषि विभाग के अधिकारी शामिल हैं। जो किसी भी स्थिति में धान, अन्य फसलों के काटने के समय से लेकर रबी में गेहूं की बुवाई तक प्रतिदिन फसल अवशेष जलाने की घटनाओं एवं इसकी रोकथाम के लिए प्रभावी कार्यवाही करेंगे तथा इसकी सूचना जनपद स्तर पर गठित सेल को भेजेंगे। पराली जलाये जाने की घटनायें पाये जाने पर उड़नदस्ता द्वारा सम्बंधित थाने में प्राथमिकी भी दर्ज करायी जाएगी।जिलाधिकारी ने बताया कि जनपद स्तर पर अपर जिलाधिकारी वि0/रा0 की अध्यक्षता में एक अनुश्रवण सेल गठित की गई है जो फसल अवशेष जलाने की घटनाओं की रोकथाम हेतु की गई कार्यवाहियों की समीक्षा करते हुए रिपोर्ट शासन को भेजेगी।
जिलाधिकारी ने समस्त ग्राम प्रधानों एवं लेखपालों को निर्देशित किया है कि वे किसी भी दशा में अपने क्षेत्र में पराली/कृषि अपशिष्ट जलाने की घटनाएं न होने दें, यदि फिर भी कोई घटना संज्ञान में आती है तो इसके जिम्मेदार सम्बंधित लेखपाल होंगे। उन्होंने निर्देश दिये हैं कि गौ-आश्रय स्थलों पर कृषि अपशिष्ट/पराली की आपूर्ति करायी जाये ताकि पराली का समुचित उपयोग हो सके। इसके साथ ही पराली जलाने संबंधी घटना की रोकथाम हेतु स्थानीय स्तर पर कृषक जागरुकता कार्यक्रमों के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार कराया जाए तथा जनपद के विद्यालय/शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों के माध्यम से फसल अवशेष न जलाने एवं इससे होने वाले प्रदूषण के सम्बंध में जनजागरण अभियान भी चलाया जाए।
इस सम्बंध में जानकारी देते हुए उप कृषि निदेशक ने अवगत कराया है कि खेतों में फसल अवशेष जलाकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने पर सम्बंधित को हर्जाना देना पड़ेगा, यह जुर्माना जमीन के क्षेत्रफल के आधार पर लगेगा। दो एकड़ से कम पर 2500 रुपए, दो से पांच एकड़ पर 5000 रुपए एवं पांच एकड़ से अधिक पर 10000 रुपए का जुर्माना निर्धारित है।