मिलावटी दूध से बचें, नहीं तो कर देगा लिवर और किडनी को खराब
कुशीनगर (वेबवार्ता)- उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में पडरौना शहर में ही डेढ़ लाख लीटर से अधिक दूध की खपत है। इस सफेद कारोबार में मिलावट जोरों पर है। मिलावट करके इसे खतरनाक बना दिया जा रहा है। ऐसे में जिसे लोग दूध समझकर पी रहे हैं। वह तरह-तरह की बीमारियां दे रहा है। दूध में पानी मिलाकर इसकी मात्रा बढ़ा दी जा रही है। ऊपर से गाढ़ा करने के लिए डिटर्जेंट, सिंथेटिक, स्टार्च सहित कई चीजें मिलाई जा रही हैं। केवल दूध ही नहीं, इससे बनी मिठाइयों और अन्य खाद्य वस्तुएं भी मिलावटखोरों से नहीं बच पाई हैं।
जानकारों का कहना है कि दूध से बने प्रोडक्ट में 70 प्रतिशत मिलावट की शिकायतें आ रही हैं। जांच में मामले पकड़ में भी आ चुके हैं। ऐसे दूध का सेवन करने से लिवर और किडनी पर असर पड़ रहा है।
जिले से दूध के लिए गए 69 नमूनों और उसके पिछले वित्तीय वर्ष समेत 99 सैंपल की जांच रिपोर्ट में 58 में मिलावट पाई गई है। यही नहीं एडीएम न्यायालय ने मुकदमों की सुनवाई के दौरान 77 व्यवसायियों पर 12 लाख रुपये से अधिक का अर्थदंड लगाया है। दूध में मिलावट की यह रिपोर्ट खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग की है।
दूषित खान- पान से लोगों की सेहत खराब न हो,उसके लिए खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग है। जिले पर इसका दफ्तर और खाद्य सुरक्षा अधिकारियों.कर्मचारियों की टीम है। इसके तहसील स्तर पर भी खाद्य सुरक्षा अधिकारी तैनात हैं। विभाग की तरफ से समय.समय पर अभियान चलाकर खाद्य वस्तुओं के नमूने लिए जाते हैं और नियमानुसार कार्रवाई की जाती है। इसके बावजूद दूध और इससे बनीं खाद्य वस्तुओं में मिलावट नहीं रुक रही है। विभागीय रिपोर्ट ही इस बात की तस्दीक करती है।
बीते सत्र 2022-23 में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने दूध और इससे बने 69 उत्पादों के नमूने लिए थे। इसके अलावा कुछ नमूनों की रिपोर्ट उसके पिछले वित्तीय वर्ष की भी आई। कुल 91 सैंपल की रिपोर्ट प्राप्त हुई! जिसमें से 58 सैंपल में मिलावट पाई गई।विभाग की तरफ से लिए गए नमूनों से संबंधित मुकदमे एडीएम के न्यायालय में दाखिल किए जाते हैं। सुनवाई भी इसकी एडीएम कोर्ट में होती है।
बीते वित्तीय वर्ष में दूध व इससे बने उत्पादों से संबंधित 77 मुकदमों की सुनवाई हुई। उसके बाद संबंधित उन सभी व्यवसायियों पर मिलावट करने का दोष साबित होने पर 12.06 लाख रुपये का अर्थदंड लगाया गया। इसके अलावा मिलावट के 49 नए मुकदमे एडीएम कोर्ट में दायर किए गए हैं।
सूत्रों की मानी जाए तो मुनाफाखोर दूध में यूरिया, अमोनिया, नाइट्रेट, फर्टिलाइजर और स्टार्च जैसे कई हानिकारक तत्व मिलाकर दूध तैयार करते हैं। ज्यादातर दुधिया दूध में मिले पानी को गाढ़ा बनाने के लिए इन सब चीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
जिला अस्पताल के फिजिशियन डॉ दीन मोहम्मद बताते हैं कि इस तरह की हानिकारक चीजों से युक्त दूध पीने से सबसे अधिक असर किडनी पर पड़ता है। लिवर डैमेज हो जाता है। बच्चों का लिवर बड़ों की तुलना में ज्यादा संवेदनशील और कमजोर होता है। ऐसे में मिलावटी दूध से इन्हें जल्दी और ज्यादा नुकसान पहुंचता है। बुजुर्ग लोगों का लिवर भी एक समय के बाद कमजोर होने लगता है। ऐसे में मिलावटी दूध को पचाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसमें मिले केमिकल शरीर की क्षमता पर भी नकारात्मक असर डालते हैं।