कुशीनगर(वेब वार्ता)- उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में जटहां बाजार थाना क्षेत्र के बाजूपट्टी गांव में मंगलवार को लगी भीषण आग में कई के अरमान जल गए। पाई- पाई जोड़कर बसाई गई गृहस्थी भी राख हो गई। बुधवार को पोस्टमार्टम के बाद जब तीनों शवों को गांव लाया गया तो चीत्कार मच गई। दो मासूम बच्चियों की मां शवों को कलेजे से चिपकाकर विलाप करने लगीं। यह देखकर मौजूद लोगों की आंखों से आंसु बहने लगे। दोनों बच्चियों के शवों को दफनाया गया। जबकि ठाकुर के शव का अंतिम संस्कार किया गया।
अग्निपीड़ित अपने जली झोपड़ियों के अवशेषों को एकटक देख रहे थे। कुछ राख में आभूषण, आधार व राशन कार्ड ढूंढ रहे थे । तो कोई चिलचिलाती धूप में प्लास्टिक तानकर उसके नीचे बैठा था। घरों में रखे अनाजए कपड़े और गृहस्थी के सभी सामान जल जाने से अग्निपीड़ित खुद को असहाय महसूस कर रहे थे। इस गांव के अग्नि पीड़ितों के लिए मंगल का दिन अमंगल साबित हुआ। मेहमाननवाजी के चक्कर में लगी आग में पछुआ हवा के झोके ने घी का काम किया।
बाजूपट्टी गांव में आग की चपेट में आने से 55 वर्षीय ठाकुर और झोपड़ी में छिपी नागेंद्र चौहान की दो वर्षीय बेटी सोहानी और सुरेंद्र की चार वर्षीय बेटी शीतल जिंदा जल गई थीं। बुधवार की सुबह तीनों शवों का पोस्टमार्टम हुआ। इसके बाद दोपहर में गांव में तीनों के शवों को लाया गया। मां प्रीति और सुभावती बेटी की शव से लिपटकर बेहोश हो गईं। ठाकुर के घरवाले भी दहाड़े मारकर रो रहे थे। आसपास के लोग उन्हें सांत्वना दे रहे थे। जटहां बाजार थाने के एसओ राजकुमार बरवार उस दौरान अपनी पुलिस टीम के साथ मौजूद रहे। गांव के बाहर नदी के किनारे दोनों मासूम सोहानी और शीतल के शव को दफनाया गया। मृतक ठाकुर के शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
आग में सबकुछ तबाह होने के बाद भीषण गर्मी में पीड़ित प्लास्टिक के नीचे दिन गुजर रहे हैं। बुधवार की रात गांव के प्राथमिक विद्यालय और पंचायत भवन में कट गई। लेकिन गुरुवार की सुबह जैसे- जैसे तापमान बढ़ता गया। अग्निपीड़ितो का दर्द भी बढ़ता गया। प्लास्टिक के नीचे गुमसुम बैठी पूनम और ज्ञांती ने बताया कि इस आग ने हम लोगों का सबकुछ छीन लिया। दूसरों के पक्के मकानों या पेड़ों की छांव के नीचे बैठकर दिन गुजारना पड़ रहा है। धूप में प्लास्टिक के नीचे बैठी रीमा ने बताया कि इस प्लास्टिक के नीचे रहने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है। अब दूसरा आशियाना बनाना आसान नहीं है।
भीषण आग में सबकुछ खो चुके लोगों के पास तन के कपड़ों को छोड़कर कुछ नहीं बचा है। बुधवार को लोग राख के बीच गहने, पासबुक और आधार कार्ड खोजने में लगे हुए थे। बिना पासबुक और आधार कार्ड के पीड़ितों को सरकारी लाभ भी मिलना मुश्किल है। राधाकृष्ण, मोहन, जोगिंद्र ने आदि बताया कि आग में सबकुछ तबाह हो गया है। लोग सुबह से ही राख में उम्मीद पाले खोजबीन जारी रखे थे।
बेटी की शादी के लिए इकट्ठा किए रुपये जले
बिटिया की शादी के लिए मोहर कई महीने से एक.एक रुपये जोड़ रहे थे। लेकिन मंगलवार को लगी आग में गृहस्थी के साथ सबकुछ जलकर राख हो गया। एक सपना था कि बेटी अनीता की शादी वह धूमधाम से करेंगेए लेकिन उस अरमान पर भी पानी फिरता दिख रहा है।
बाजूपट्टी गांव में एक पेड़ की छांव के नीचे परिवार के साथ गुमसुम बैठे मोहर राजभर रो रहे थे। उन्होंने बताया कि जून के पहले सप्ताह में बेटी अनीता की शादी होनी थी। शादी धूमधाम से करने की इच्छा थी। कई महीने से शादी की तैयारी की जा रही थी। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। एक झटके में सबकुछ जलकर राख में तब्दील हो गया। उन्होंने बताया कि 20 हजार रुपये के कपड़े, करीब 80 हजार रुपये के गहनेए बेटी को देने वाला बेड, सिलाई मशीन समेत नकद भी इस आग में जलकर नष्ट हो गया। उनका कहना था कि अब तो रहने के लिए आशियाना नहीं है। पहले आशियाना बनाया जाएगा।लेकिन बेटी की शादी कैसे होगी यह समझ नहीं आ रहा है।