24.1 C
New Delhi
Thursday, June 1, 2023

Kushi Nagar News: किराने की दुकानों पर बिक रहा सरकारी चावल, राशन की कालाबाजारी रोकने के लिए किए गए हैं कड़े इंतजाम

कुशीनगर(वेबवार्ता)- उत्तर प्रदेश के कुशीनगर  जनपद में राशन के चावल का खेल लाखों रुपये महीने का है। लोगों को मुफ्त में मिल रहा सरकारी फोर्टिफाइड चावल किराने की दुकानों और साप्ताहिक मंडियों में बिक रहा है। बहुत कम ही लोग इसे पकाते हैं। कुछ ऐसे हैं। जो कोटेदार से अनाज की जगह रुपये ही ले लेते हैं। कुछ आटा चक्की वाले भी यह चावल खरीदकर पीसने के बाद बेसन के नाम पर बेच देते हैं।
दूसरी ओर कुछ लोग दुकानों पर सरकारी चावल बेचकर उसकी जगह अच्छी गुणवत्ता का चावल, चायपत्ती, सोनी मसाला आदि सामान बदल लेते हैं! जबकि कोटे के अनाज की कालाबाजारी रोकने के लिए ढुलाई वाले ट्रकों में जीपीएस लगा हैए बायोमीट्रिक तरीके से राशन का उठान होता है। पारदर्शिता के लिए पॉश मशीनों का उपयोग किया जा रहा है। आयरन, विटामिन,फोलिक एसिड सहित अनेक पौष्टिक तत्वों से युक्त इस चावल को लोग स्वाद ठीक न होने की बात कहकर खाने से परहेज कर रहे हैं। इसकी मोटाई भी अन्य चावलों से अधिक है। यह चावल सरकार की ओर से अंत्योदय एवं पात्र गृहस्थी के कार्डधारकों को मुफ्त में दिया जा रहा है। सरकार की तरफ से जिले में 7.12 लाख पात्र गृहस्थी एवं अंत्योदय राशन कार्डधारकों को यह चावल मुफ्त में दिया जा रहा है।
सरकार पहले राशन की दुकानों के माध्यम से सामान्य मोटा चावल लोगों को मुफ्त उपलब्ध कराती थी। लेकिन अब जो चावल मिलता है वह फोर्टिफाइड है। इस चावल में आयरनए विटामिनए बी.12 ,फॉलिक एसिडए जिंकए विटामिन ए व बी के मिश्रण की लेयर चढ़ती है। इससे यह प्लास्टिक कोटेड दिखता है। एक क्विंटल सामान्य चावल में एक किलो फोर्टीफाइड चावल मिलाया जाता है। सरकार की तरफ से पात्र गृहस्थी एवं अंत्योदय राशनकार्ड धारकों को मुफ्त में दिया जाने वाला यह राशन अधिकांश लाभार्थी बाजारों और साप्ताहिक मंडियों में बेच दे रहे हैं। पडरौना की एक किराने की दुकान पर काम करने वाले मोहन ने बताया कि शहर में भी ऐसी दुकानें हैंहैं,  जहां लोग कोटे का चावल बेच देते हैं। दुकानदार उनसे 18 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदते हैं और 22 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचते हैं। ऐसी दुकानों में मोटे अनाज की कई वैरायटी रहती है। चावल बेचने वाले लोग उसे बदलकर अपने पसंद का चावल खरीद लेते हैं। इनमें ज्यादातर मजदूर तबके के लोग होते हैं। 
पूर्ति विभाग से जुड़े लोगों की मानें तो सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों पर राशन की कालाबाजारी रोकने के लिए कड़े इंतजाम किए गए हैं। राशन अब शासन से सीधे एफसीआई के गोदाम में आता है। कोटेदारों को एक दिन पहले सूचना दी जाती है। फिर एफसीआई के गोदाम से राशन को ट्रक से कोटेदार तक पहुंचाया जाता है। जिस ट्रक से राशन आता हैए उसमें जीपीएस लगा होता है। इसके अलावा राशन उसी को दिया जाता हैए जिसका फिंगरप्रिंट बायोमीट्रिक मशीन में मैच करता है। ई पॉश मशीनों का उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में बिचौलियों की सक्रियता खत्म हो गई है। दो.तीन कोटेदारों का राशन एक ट्रक में भेजा जाता है। जो कार्डधारक अपना राशन नहीं उठाते हैंए उनका उस महीने का राशन वापस हो जाता है। इसके अलावा यह सुविधा भी है कि यदि कोई कार्डधारक दूसरे प्रांत में है तो वहां भी पोर्टिबिलिटी के माध्यम से अपने राशन का उठान कर सकता है।
ग्रामीण क्षेत्र के बड़े बाजारों में कोटे की दुकान पर मिलने वाले चावल को कुछ चावल व्यवसायी खरीद रहे हैं। उस चावल को बेसन बनाने वाली चक्की एवं फैक्ट्री वाले एक से दो रुपये अधिक देकर खरीद ले रहे हैं और बाजार में सस्ता बेसन उपलब्ध करा रहे हैं। बाजार में चना का बेसन 80 रुपये किलोग्राम हैए जबकि यह मिलावटी बेसन 55 से 60 रुपये प्रति किलोग्राम में मिल जा रहा है। इसे पकौड़ी बनाने वाले दुकानदार खरीद ले रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि कार्डधारक राशन उठाने के बाद उसे बनाकर खाने के बजाय दुकानदार से 16 से 17 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेच देते हैं।उसके बदले में महंगा चावल खरीद लेते हैं या जरुरत का अन्य सामान खरीद लेते हैं।
सूत्रों के अनुसार राशन का चावल एकत्र कर कुछ बड़े राइस मिल संचालक उसकी राइस मिल में छंटाई कराकर पतला करा देते हैं। उसके बाद उसे एक किलोग्रामए दो किलोग्राम और पांच किलोग्राम के सादे और रंगीन पैकेट में पैक कराकर बेच देते हैं। छंटाई के बाद यह चावल साफ और पतला हो जाता हैए जिसे लोग आसानी से खरीद लेते हैं। यह बाजार के अन्य चावल से कुछ कम दर पर बिकता है।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

10,370FansLike
10,000FollowersFollow
1,140FollowersFollow

Latest Articles