-पुल से चार पहिया वाहनों को संचालित कराने हेतु की है भूख हड़ताल
-धरना प्रदर्शन व भूख हड़ताल पर बैठे लोग भारी बारिश में भी डटे
-अशोक कुमार
शाहजहांपुर, (वेबवार्ता)। कोलाघाट रामगंगा नदी पर बने पुल पर चार पहिया वाहन संचालित कराने को लेकर कई संगठनों ने कोलाघाट पुल के पश्चिमी छोर पर बुधवार को धरना प्रदर्शन व आमरण अनशन शुरू किया था। जिसमें जनप्रतिनिधियों, भारतीय किसान यूनियन, अखिल भारतीय जन विकास मंच, कांग्रेस एवं क्षेत्रीय ग्रामीणों का समर्थन मिल रहा है। बुधवार को धरना प्रदर्शन के बाद सफलता अर्जित ना होने पर करीब 15 प्रदर्शनकारियों ने गुरुवार से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी है।
भूख हड़ताल करने वालों में सोत नदी लक्ष्मनपुर पुल के प्रमुख संघर्ष कर्ता कलान के जिला पंचायत सदस्य रामकुमार राठौर, पूर्व जिला पंचायत सदस्य रामवीर सिंह सोमवंशी, सूरजपाल सिंह एडवोकेट, जलालाबाद के जिला पंचायत सदस्य रामदास राठौर, दीपक नंदवंशी सभासद गंगानगर कलान, भारतीय किसान यूनियन के उपाध्यक्ष उदयवीर सिंह, सोनपाल, जिला पंचायत सदस्य ओमपाल कुशवाहा, कांग्रेस के प्रदेश सचिव मोहित शर्मा, अक्षय परमार, चंद्रपाल कुशवाहा, किसान यूनियन के किशन पाल गौतम, रमेश कुशवाहा, बकलान के जिला पंचायत सदस्य धर्मेंद्र यादव, मिर्जापुर के जिला पंचायत सदस्य रवीशपाल कुशवाहा शामिल हैं। अन्य प्रदर्शनकारियों में मिर्जापुर के कमलेश यादव, अखिल भारतीय जन विकास मंच के चौधरी विनोद यादव, गोपाल सिंह परमार, सत्य प्रकाश सक्सेना, मनोज कुशवाहा समेत कई ग्रामीण शामिल हैं। धरना प्रदर्शन और भूख हड़ताल पर बैठे लोग भारी बारिश में भी लगातार डटे हुए हैं। वहीं सीएचसी जरियनपुर में तैनात डॉ आर्येन्द्र यादव ने धरना स्थल पर पहुंचकर भूख हड़ताल पर बैठे लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया।
वहीं भूख हड़ताल पर बैठे जिला पंचायत सदस्य रामकुमार राठौर ने धरना प्रदर्शन स्थल पर लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि जनता की गाढ़ी कमाई का लगभग 50 करोड़ रुपए पुल पर निर्माण और मरम्मत में खर्च किया जा चुका है। लेकिन इसके बावजूद भी क्षेत्रीय जनता आवागमन की सहूलियत से कोसों दूर है। उन्होंने कहा चार पहिया वाहनों का संचालन होने से जनता को आवागमन में सुगमता रहेगी। श्री राठौर ने बताया ₹43 करोड़ की लागत से पुल का निर्माण कराया गया था। पुल क्षतिग्रस्त होने के बाद साढ़े 6 करोड़ रुपए की लागत से पुल की मरम्मत कराई गई। उन्होंने कहा मांग और चेतावनी, धरना प्रदर्शन बाद भी शासन प्रशासन ने हमारी मांग पर नहीं मानी। जिस कारण हम लोग भूख हड़ताल पर बैठे हैं। जिसकी जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की होगी।